Monday, March 14, 2011

सबसे महंगी आपदा साबित हुई जापान की सूनामी

टोक्यो. जापान में आए भूकंप और सूनामी के रूप में आई प्राकृतिक आपदा, संभवतः विश्व की सबसे महंगी आपदा है। इसमें हुआ नुकसान, विश्व में अब तक आई विपदाओं में सबसे ज्यादा है। जापान में आई इस आपदा से 100 बिलियन डॉलर (4500 अरब रुपए) का शुरुआती नुकसान आंका गया है। यह रकम भारत के कुल रक्षा बजट (36.03 बिलियन डॉलर) से करीब तीन गुना है। करीब 20 बिलियन डॉलर (900 अरब रुपए) का नुकसान तो इमारतों के गिरने से हुआ है और इसका दोगुना सड़क, रेल लाइन और विभिन्न बंदरगाहों के नष्ट होने से नुकसान हुआ है।

इतना बड़ा झटका सहने के बाद सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अर्थव्यवस्था स्थिर रखने की है। इसके लिए जापान के सेंट्रल बैंक ने 15 ट्रिलियन येन (8235 अरब रुपए) बाजार में दिए हैं। बैंक ऑफ जापान ने भी बाजार में 5 ट्रिलियन येन (2745 अरब रुपए) देने का फैसला किया है, जिससे निवेशकों का विश्वास बना रहे। इसके बाद भी जापानी बाजार में घबराहट है। यह तब दिखा जब आपदा के बाद सोमवार को पहली बार शेयर बाजार खुला और निक्की 6.2 फीसदी गिरा। यह गिरावट दिसंबर 2008 के बाद एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट थी।

जापान आर्थिक मोर्चे पर पहले से पिछड़ रहा है। 2010 में यह विश्व में चीन के बाद तीसरे नंबर की अर्थव्‍यवस्‍था वाला देश बन गया। जापान कर्ज में भी बुरी तरह दबा हुआ है। यह कर्ज उसकी जीडीपी का दोगुना और विकसित देशों में सबसे ज्यादा है। जापान का व्यवसाय मुख्यतः निर्यात आधारित है, लेकिन कुछ समय से जापान की मुद्रा येन कमजोर हुई है। जापान का मियागी इलाका पूरी तरह नष्ट हो गया है। यहां की आबादी जापान की आबादी का करीब 1.7 फीसदी है और मैक्वेरी रिसर्च के विश्लेषक रिचर्ड जेरोम के अनुसार देश की अर्थव्यवस्था में भी यह इलाका करीब इतने का ही योगदान देता था।

एआईआर फर्म के अनुसार बीमा कंपनियों को भी काफी बड़ी रकम खर्च करनी होगी। बीमा कंपनियों को केवल भूकंप से हुए नुकसान के कारण करीब 15 से 35 बिलियन डॉलर (675 से 1575 अरब रुपए) का मुआवजा देना होगा। इसमें सूनामी के कारण देश में हुआ नुकसान और फुकुशिमा डायची न्यूक्लियर रिएक्टर को हुआ नुकसान शामिल नहीं है। जेरोम ने कहा कि अभी कुल नुकसान का आंकलन मुश्किल है क्योंकि अभी तो पूरी आपदा की सही तस्वीर ही सामने नहीं आई है। पर यह तय है कि नुकसान अब तक दुनिया में आई किसी भी प्राकृतिक आपदा में हुए नुकसान से ज्‍यादा ही होगा।

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