Tuesday, March 8, 2011

पसीना है सफलता का ईधन

नई दिल्ली। जीवन में हम जो भी करते हैं, उसमें समस्याएं एवं व्यवधान आते ही हैं। हर कोई जीवन में परेशानियों से दो-चार होता है। यह परिवार, मित्रों, पैसा काम, विवाद या बीमारी से जु़डा हो सकता है। ऎसी बहुत सारी चीजों को जो हम चाहते हैं, मगर इससे पहले कि हम उसे हासिल कर सकें हमें कई समस्याओं से जूझना प़डता है। दुनिया में सबसे आसान है यह कहना कि "मैं यह नहीं कर सकता" और उस काम को छो़ड देना। ऎसा करने की बजाय हम कुछ समय का विराम लेकर ये क्यों नहीं सोचते कि कैसे हम राह की मुश्किलों पर विजय प्राप्त करें।
यदि हम यह मान लें कि ये मुश्किलें इस सफर का विराम है तो मुश्किल से मुश्किल परेशानी का हल निकल आएगा। इसको छो़ड देना या परेशानी पर फतह हासिल करना ये दोनों विकल्प हम सबों के अंदर होते हैं। किसी भी मुश्किल पर विजय हासिल करने के लिए पहला कदम है कि आप यह विश्वास करें कि आप ऎसा कर सकते हैं। हमारे जीवन में हर चीज की शुरूआत विकल्प के साथ होनी है।
जीवन में सफलता इस बात में निहित है कि आप अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ एवं सतत प्रयासरत हैं। हम में से कई लोग ऎसा सोचते हैं कि हम जो चाहते हैं जीवन हमें नहीं दे रहा है या सफलताएं भाग्य की देन हैं। मगर उस प्रयास, मेहनत एवं दर्द की सराहना नहीं करते हैं जो लक्ष्य प्राçप्त की राह में आते हैं। सफल व्यक्ति सफलता भाग्य से नहीं, वरन् अपनी लगन से हासिल करता है। याद रहे कि भगवान हर पक्षी और जानवर को खाना देता है, पर उनके मुंह में नहीं डालता है। इसके लिए उन्हें मेहनत करनी प़डती है। कोई भाग्य तब तक काम नहीं करता जब आप स्वयं कुछ कर्म न करें। थो़डा पाने के लिए कभी-कभी ढेर सारे अच्छे काम भी खोने प़डते हैं। आप जितनी मेहनत करेंगे, भाग्य उतना ही आपका साथ देगा। आप जो चाहते हैं, उसके लिए यदि अपना 100 प्रतिशत देते हैं तो उसे प्राप्त करेंगे। हम अवसर को समझ नहीं पाते, क्योंकि वह क़डी मेहनत मांगता है। यह याद रखने योग्य है कि कोई भी व्यक्ति क़डी मेहनत के पसीने में डूबा तो लेकिन मरा नहीं है। कर्म करने से ही सफलता मिलती है और केवल अंग्रेजी शब्दकोश में ही सफलता कर्म से पहले आती है। दुनिया के कई मशहूर लेखकों ने स्वीकारा है कि शुरूआती दिनों में उनके 10 में से 9 काम को नामंजूर कर दिया जाता था। केवल दसवां काम ही स्वीकृत होता था। उनकी सफलता का राज यह है कि उन्होंने तन-मन-धन से 10 गुनी ज्यादा मेहनत की। एक पुरानी कहावत है कि उतना ही खाओ जितना पचा सको। मगर सफलता का सूत्र है कि आप जितना कर सकते हैं उससे भी ज्यादा करें और काम को खत्म करें। हम बहुत सारे दर्दो एवं समस्याओं को लेकर ऎसे कई दर्दो एवं समस्याओं से बच सकते हैं। यदि आप ऎसा महसूस करते हैं कि आप बर्बाद हो गए हैं या टूट गए हैं तो इस बात की प़डताल करनी चाहिए कि आपके प्रयास का स्तर क्या था। मेधावी होना अपने लक्ष्य प्राçप्त के लिए असीमित दर्द झेलने से ज्यादा कुछ भी नहीं है। किसी भी लक्ष्य की प्राçप्त के लिए जिस कठिन परिश्रम की आवश्यकता है, उसके लिए बाहों को घुमाने की जरूरत है, न कि नाक सिको़डने की। कई लोग दावा करते हैं कि वे दो चीजें एक साथ कर सकते हैं, मगर सफलता प्राçप्त के लिए आवश्यक है कि आप एक बार में एक ही काम करें। वास्तव में पसीना सफलता का ईधन है। मार्टिन लूथर किंग ने एक बार कहा था, "यदि किसी व्यक्ति को स़डक साफ करने वाला कहा जाता है तो उसे अपना काम उसी प्रकार करना चाहिए, जैसे माइकल एंजेला चित्रकारी करते थे, बीथओवन धुनें तैयार करते थे या शेक्सपीयर कविता लिखा करते थे। उसे अपना काम इस तरह करना चाहिए कि हर कोई उसके काम की तारीफ में कहे कि यहां एक स़डक साफ करने वाला राजा है जिसने यह काम किया।"

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