Thursday, March 31, 2011

पूजा से पहले गाय के गोबर से पूजन के स्थान को पवित्र क्यों करना चाहिए?

हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार गाय में 33 करोड़ देवताओं का वास माना गया है। गाय के पूरे शरीर को ही पवित्र माना गया है लेकिन गाय का गोबर सर्वाधिक पवित्र माना जाता है। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार गाय के मुख वाले भाग को अशुद्ध और पीछे वाले भाग को शुद्ध माना जाता है।साथ ही गोबर में लक्ष्मी का निवास माना गया है। इसीलिए जब भी कोई पूजन कार्य किया जाता है या हवन जैसा कोई बड़ा धार्मिक कार्य किया जाता है तो उस जगह को गाय के गोबर से लिपा जाता है।

ऐसा क्यों होता है?

जिस चीज को अपवित्र कहा जाता हो वही गोबर जब गाय का होता है तो उसे पवित्र मान लिया जाता है। क्या इसके पीछे भी कोई कारण है? गोबर भयानक रोगों को भी ठीक करने में सहायक है। दरअसल गोबर से कई बीमारियों से मुक्ति मिलती है इसलिए पुराने जमाने में जब भोजन गोबर के  उपले  और लकडिय़ों से बनता था तो कई तरह की बीमारियां नहीं होती थी। जो आज हमें देखने को मिलती है।इसके बैक्टिरिया अन्य कई जटिल रोगों में भी फायदेमंद होते हैं। गोबर का धुआं अपने आस-पास के वातावरण को भी शुद्ध रखता है। इसके धुएं से घर की सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि

आपको पता है, मंदिर में चप्पल पहनकर क्यों नहीं जाते हैं?

हमारे यहां हर धर्म के देवस्थलों पर नंगे पांव प्रवेश करने का रिवाज है। चाहे मंदिर हो या मस्जिद गुरुद्वारा हो या  जैनालय आदि सभी धर्मों के देवस्थलों के अंदर सभी श्रद्धालु जूते-चप्पल बाहर उतारकर ही प्रवेश करते हैं। मंदिरों में नंगे पैर प्रवेश करने के पीछे कई कारण हैं।  देवस्थानों का निर्माण कुछ इस प्रकार से किया जाता है कि उस स्थान पर काफी सकारात्मक ऊर्जा एकत्रित होती रहती है।

नंगे पैर जाने से वह ऊर्जा पैरों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर जाती है। जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक रहती है। साथ ही नंगे पैर चलना एक्यूप्रेशर थैरेपी ही है और एक्यूप्रेशर के फायदे सभी जानते हैं लेकिन आजकल अधिकांश लोग घर में भी हर समय चप्पल पहनें रहते हैं इसीलिए हम देवस्थानों में जाने से पूर्व कुछ देर ही सही पर जूते-चप्पल रूपी भौतिक सुविधा का त्याग करते हैं। इस त्याग को तपस्या के रूप में भी देखा जाता है।  जूते-चप्पल में लगी गंदगी से मंदिर की पवित्रता भंग ना हो, इस वजह से हम उन्हें बाहर ही उतारकर देवस्थानों में नंगे पैर जाते हैं।

पैसा कहां और कैसे रखें?

पैसा या धन रखने के लिए सभी के घरों में कोई स्थान होता ही है। कुछ लोग पैसा तिजोरी में रखते है तो कुछ अलमारी में, वहीं कुछ लोग अन्य सुरक्षित स्थान पर। चोरों से बचाने के लिए पैसा किसी विशेष जगह पर ही रखा जाता है। वास्तु अनुसार बताए गए स्थान पर पैसा रखने से आपका धन सुरक्षित तो रहेगा साथ ही उसमें बरकत भी बनी रहेगी साथ ही परिवार के आय के स्रोतों में बढ़ोतरी होगी।

वास्तु शास्त्र के अनुसार धन के देवता कुबेर का स्थान उत्तर दिशा में माना जाता है। उत्तर दिशा का प्रभाव गृहस्वामी के धन की सुरक्षा और समृद्धि देने वाला माना जाता है। मतलब वास्तु शास्त्र के अनुसार गृहस्वामी को अपने नकद धन को उत्तर दिशा में रखना चाहिए। नकद धन के लिए अलग से कमरा बनाना आज के जमाने में तो संभव नहीं है। यह तो सिर्फ पुराने जमाने में राजे रजवाड़ो के लिए संभव था। इसलिए गृहस्थ को अपना धन उत्तर दिशा के बेडरुम में रखना चाहिये। नकद, गहनों एवं अन्य कीमती चीजों को उत्तर दिशा में किसी स्थान पर रखना बहुत शुभ फल देने वाला होता हैं लेकिन उत्तर दिशा के पूजा स्थान के आसपास मे इसका स्थान उत्तम होता है धन को इस स्थान पर रखने से धन में तेजी से वृद्धि होने लगती है।

इसमें एक अलग मत और भी है कुछ वास्तुशास्त्रियों के अनुसार नकद धन को उत्तर में रखना चाहिए और रत्न, आभूषण आदि दक्षिण में रखना चाहिए। ऐसा इसलिए माना जाता है क्योंकि नकद धन आदि हल्के होते है इसलिए इन्हे उत्तर दिशा में रखना वृद्धिदायक माना जाता है। रत्न आभूषण में वजन होता है इसलिए उन्हे कहीं भी नहीं रखा जा सकता है। इसके लिए तिजोरी या अलमारी की आवश्यकता होती है और ये काफी भारी होती है। इसलिए दक्षिण दिशा में रख उसमें आभूषण आदि रखने को उतम माना जाता है।

Monday, March 14, 2011

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गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुई 'मुन्नी'!


 सलमान खान और सोनाक्षी सिन्हा अभिनीत फिल्म दबंग का आयटम सांग ‘मुन्नी बदनाम हुई’ गिनीज बुक में दर्ज हो चुका है।  मेलबोर्न पार्क में 1200 से ज्यादा लोगों ने इस गाने पर तीन मिनट तक डांस किया। यह कार्यक्रम फिल्म फेस्टिवल 2011 के निदेशक मीतू भौमिक लांगे द्वारा आयोजित किया गया था।
मीतू ने कहा, ‘इतने सारे लोगों को एक ही साथ, एक ही गाने पर एक जैसे स्टेप्स पर डांस करते देखना अद्भुत था।’ इससे पहले यह रिकॉर्ड सिंगापुर में स्थापित किया गया था जिसमें किसी और गाने पर 1008 लोगों ने डांस किया था।

भारत में सूनामी से मरे थे 3 लाख, जापान में काफी कम, आखिर क्‍यों?

नई दिल्‍ली. जापान में 11 मार्च, 2011 को आए भूकंप और सूनामी से मरने वालों की तादाद करीब 2000 बताई जा रही है। पर 26 दिसंबर, 2004 को भारत, श्रीलंका, इंडोनेशिया और थाईलैंड जैसे एशियाई देशों में आई सूनामी 2 लाख 26 हजार लोगों को लील गई थी। जापान में आई सूनामी की तीव्रता, 2004 में भारत में आई सूनामी की तीव्रता (9.1-9.3) जापान की सूनामी की तीव्रता (8.9) से थोड़ी ही अधिक थी। पर मौत के आंकड़े में इतना बड़ा फासला! आखिर क्‍यों?इसका सीधा कारण यही है कि जापान ने भूकंप के खतरे को समझ कर उससे निपटने के लिए अपने को हर तरह से तैयार किया है, लेकिन भारत में इस खतरे को अच्‍छी तरह समझा भी नहीं गया है। इससे निपटने का उपाय तो दूर की कौड़ी है।

भारत में कम नहीं है खतरा
भारत में 65 फीसदी क्षेत्र भूकंप संवेदनशीलता के लिहाज से जोन 3 में आता है। पूरे भारत को भूकंप संवेदनशीलता के लिहाज से चार सिस्मिक जोन (2, 3, 4 और 5) में बांटा गया है। जोन 5 में वे इलाके हैं जहां रिक्‍टर पैमाने पर 9 या उससे ज्‍यादा तीव्रता के भूकंप आने का खतरा रहता है। जोन 4 में 8 से 9 और जोन 3 में 6 से 8 तीव्रता वाले भूकंप का खतरा वाला इलाका रखा गया है। 17 राज्‍यों के 169 जिले भूकंप के लिहाज से सबसे ज्‍यादा संवेदनशील हैं।देश की राजधानी दिल्‍ली सिस्मिक जोन 4 में आता है। यहां भूकंप से पूर्वी दिल्‍ली इलाके (यमुना के करीबी) में ही एक लाख से भी ज्‍यादा घर जमींदोज हो सकते हैं। प्रोफेसर टीके दत्‍ता कहते हैं, ‘दिल्‍ली की मिट्टी में नमी बढ़ गई है और इसकी ताकत खोती जा रही है।’ दिल्‍ली में 2006 में मकानों में भूकंपरोधी तकनीक का इस्‍तेमाल अनिवार्य किया गया, लेकिन आज भी इस नियम का लगभग सौ फीसदी उल्‍लंघन हो रहा है। बाकी शहरों का भी यही हाल है।दिल्‍ली की 80 फीसदी से ज्‍यादा आबादी झुग्गियों या अनियमित कॉलोनियों में रहती है। इनके मकान इंजीनियर की सलाह के बिना बनाए गए होते हैं। प्रोफेसर एस. मुखर्जी के मुताबिक दिल्‍ली और कोलकाता के कुछ इलाकों में प्रति वर्ग किलोमीटर 2 लाख से भी ज्‍यादा लोग रह रहे हैं। ऐसे में भीषण भूकंप की स्थिति में जान का ज्‍यादा नुकसान होने का खतरा है।

जापान में सबसे ज्‍यादा खतरा

जापान में औसतन हर पांच मिनट पर भूकंप के हल्के झटके आते रहते हैं। दुनिया में रिक्टर स्केल पर 6 या उससे ज़्यादा तीव्रता वाले भूकंपों में से से 20 फीसदी सिर्फ जापान में आते हैं। जापान के पास मौजूद पैसिफिक बेसिन में समुद्र के भीतर ज्वालामुखी विस्फोट बहुत होते हैं। जापान 'रिंग ऑफ फायर' ज़ोन में स्थित है। जापान में भूकंप और सूनामी का लंबा इतिहास रहा है।जापानी लोगों को भूकंप झेलने की आदत हो गई है और वे इनसे बचने में माहिर हो गए हैं। वहां नियमित रूप से लोगों को भूकंप से बचने की ट्रेनिंग दी जाती है और अभ्‍यास कराया जाता है।

पर हमेशा तैयार रहता है जापान

जापान में सूनामी के प्रति आगाह करने का तंत्र बेहद मजबूत है। जापान ने भूकंप और इसके खतरों का जितना गहन अध्‍ययन किया है, उतना दुनिया के किसी देश ने नहीं किया है। इसी अध्‍ययन के आधार पर नियम बनाए हैं। देश भर में छोटे मकान से बड़ी इमारतें बनाने में इन नियमों का कड़ाई से पालन किया जाता है। वहां ऐसी व्‍यवस्‍था है कि भूकंप की स्थिति में परमाणु रिएक्‍टर अपने आप बंद हो जाता है।जापान ने भूकंप और सूनामी से जुड़े अध्‍ययनों और इससे नुकसान कम करने के लिए तकनीक विकसित करने पर अरबों डॉलर खर्च किए हैं। जापान में छह क्षेत्रीय केंद्रों के जरिए 180 सिसमिक स्टेशनों और 80 सेंसरों से सिग्नल भेजे जाते हैं, जो पानी में हैं। इनकी 24 घंटे निगरानी की जाती है। जापान में मौसम विभाग और समाचार चैनलों ने एक सिस्टम विकसित किया है, जिसमें किसी भूकंप या सूनामी जैसी किसी त्रासदी से पहले टीवी चैनलों पर चेतावनी फ्लैश होने लगती है। इसके अलावा सेटेलाइटों के जरिए जापान भर में स्थानीय अधिकारियों को ऐसी चेतावनी की जानकारी दी जाती है। साथ ही साइरन बजाने और लाउडस्पीकर पर भी संदेश प्रसारित करने और किसी भी त्रासदी में फंसे लोगों को बचाने का भी बेहतरीन इंतजाम है। जापान अपने चेतावनी तंत्र पर करीब 2 करोड़ डॉलर हर साल खर्च करता है। वहां भूकंप रोधी इमारतें बनाना कानूनी तौर पर जरूरी है।इसके उलट, भारत में आपदा प्रबंधन के लिए केंद्रीय और राज्य स्तर पर कुछ समितियां बना कर खानापूर्ति की गई है। इसमें निजी क्षेत्र की कुछ कंपनियों को शामिल किया गया है। जानकारों का मानना है कि भारत में आपदा प्रबंधन बिल्कुल कारगर नहीं है। यह हर बार साबित भी हो चुका है।

भारत में ऐसी त्रासदी का पता लगाने के कोई ठोस तंत्र नहीं है। मौसम विभाग की भविष्यवाणियां अक्सर गलत साबित होती हैं। भूकंप को लेकर चेतावनी देने का कोई कारगर सिस्टम नहीं है। भारत में भूकंप या सूनामी जैसी बड़ी प्राकृतिक आपदा के बाद फंसे लोगों को बचाने का भी बहुत उन्नत तंत्र नहीं है।भारत में 26 दिसंबर, 2004 को सूनामी की भेंट 18 हजार जिंदगियां चढ़ गई थीं। एशिया प्रशांत क्षेत्र में उस सूनामी के चलते करीब तीन लाख लोगों की मौत हुई थी। अकेले इंडोनेशिया में सवा दो लाख लोग सूनामी की भेंट चढ़ गए थे।भारत में हैदराबाद में सूनामी चेतावनी केंद्र बनाया गया है और दावा है कि किसी बड़े भूकंप के 10 मिनट के भीतर यह केंद्र सूनामी की चेतावनी देने में सक्षम है। इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इन्‍फॉर्मेशन सर्विसेज में 125 करोड़ रुपये खर्च कर चेतावनी केंद्र स्‍थापित किया गया है। इस केंद्र की ओर से पिछले तीन सालों में भूकंप के 25-30 अलर्ट जारी किए गए हैं।

राहत और बचाव में भी पीछे

अस्‍पताल और डॉक्‍टर: भारत में किसी भी आपदा के समय जान का ज्‍यादा नुकसान इसलिए भी हो जाता है, क्‍योंकि यहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। भारत में हर एक हजार की आबादी के लिए अस्पताल में एक बिस्तर (0.7:1000) भी उपलब्ध नहीं है, जबकि जापान में यह अनुपात 8.2:1000 है। दुनिया के अन्य देशों का औसत 3.96 है। भारत में 1,722 लोगों की आबादी के लिए औसतन 1 डॉक्टर उपलब्ध है, जबकि जापान में प्रति एक हजार की आबादी पर औसतन 2.1 डॉक्टर है।

पैसे की दिक्‍कत: भारत सकल घरेलू उत्पाद के मामले में दुनिया की ग्यारहवीं सबसे बड़ी अर्थव्यस्था है। भारत की मौजूदा विकास दर 8.2 फीसदी है। दूसरी ओर, जापान कुछ समय पहले तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी (अब तीसरी) अर्थव्यवस्था वाल देश था।

सबसे महंगी आपदा साबित हुई जापान की सूनामी

टोक्यो. जापान में आए भूकंप और सूनामी के रूप में आई प्राकृतिक आपदा, संभवतः विश्व की सबसे महंगी आपदा है। इसमें हुआ नुकसान, विश्व में अब तक आई विपदाओं में सबसे ज्यादा है। जापान में आई इस आपदा से 100 बिलियन डॉलर (4500 अरब रुपए) का शुरुआती नुकसान आंका गया है। यह रकम भारत के कुल रक्षा बजट (36.03 बिलियन डॉलर) से करीब तीन गुना है। करीब 20 बिलियन डॉलर (900 अरब रुपए) का नुकसान तो इमारतों के गिरने से हुआ है और इसका दोगुना सड़क, रेल लाइन और विभिन्न बंदरगाहों के नष्ट होने से नुकसान हुआ है।

इतना बड़ा झटका सहने के बाद सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अर्थव्यवस्था स्थिर रखने की है। इसके लिए जापान के सेंट्रल बैंक ने 15 ट्रिलियन येन (8235 अरब रुपए) बाजार में दिए हैं। बैंक ऑफ जापान ने भी बाजार में 5 ट्रिलियन येन (2745 अरब रुपए) देने का फैसला किया है, जिससे निवेशकों का विश्वास बना रहे। इसके बाद भी जापानी बाजार में घबराहट है। यह तब दिखा जब आपदा के बाद सोमवार को पहली बार शेयर बाजार खुला और निक्की 6.2 फीसदी गिरा। यह गिरावट दिसंबर 2008 के बाद एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट थी।

जापान आर्थिक मोर्चे पर पहले से पिछड़ रहा है। 2010 में यह विश्व में चीन के बाद तीसरे नंबर की अर्थव्‍यवस्‍था वाला देश बन गया। जापान कर्ज में भी बुरी तरह दबा हुआ है। यह कर्ज उसकी जीडीपी का दोगुना और विकसित देशों में सबसे ज्यादा है। जापान का व्यवसाय मुख्यतः निर्यात आधारित है, लेकिन कुछ समय से जापान की मुद्रा येन कमजोर हुई है। जापान का मियागी इलाका पूरी तरह नष्ट हो गया है। यहां की आबादी जापान की आबादी का करीब 1.7 फीसदी है और मैक्वेरी रिसर्च के विश्लेषक रिचर्ड जेरोम के अनुसार देश की अर्थव्यवस्था में भी यह इलाका करीब इतने का ही योगदान देता था।

एआईआर फर्म के अनुसार बीमा कंपनियों को भी काफी बड़ी रकम खर्च करनी होगी। बीमा कंपनियों को केवल भूकंप से हुए नुकसान के कारण करीब 15 से 35 बिलियन डॉलर (675 से 1575 अरब रुपए) का मुआवजा देना होगा। इसमें सूनामी के कारण देश में हुआ नुकसान और फुकुशिमा डायची न्यूक्लियर रिएक्टर को हुआ नुकसान शामिल नहीं है। जेरोम ने कहा कि अभी कुल नुकसान का आंकलन मुश्किल है क्योंकि अभी तो पूरी आपदा की सही तस्वीर ही सामने नहीं आई है। पर यह तय है कि नुकसान अब तक दुनिया में आई किसी भी प्राकृतिक आपदा में हुए नुकसान से ज्‍यादा ही होगा।

सबसे महंगी आपदा साबित हुई जापान की सूनामी


जापान में तीसरे रिएक्टर में विस्फोट, विकिरण का खतरा बढ़ा

टोक्यो. फुकुशिमा ऐटमी प्लांट में तीसरे ब्लास्ट से जापान में परमाणु विकिरण का ख़तरा बढ़ता जा रहा है। ताज़ा मामले में फुकुशिमा दायिची ऐटमी प्लांट नंबर 1 के रिएक्टर नंबर 2 में विस्फोट होने की ख़बर है। इससे पहले पहले जापान ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी से ऐटमी प्लांट में हो रहे विस्फोट को रोकने के लिए मदद की मांग की है।

ताज़ा विस्फोट भारतीय समय के मुताबिक सुबह 6:10 बजे हुआ। टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (टेपको) ने इस बाबत जानकारी दी है कि धमाका रिएक्टर के कंटेनमेंट वेसेल के सप्रेशन पूल में हुआ है। पूल में खराबी आने की बात भी सामने आई है। जापान के प्रधानमंत्री नाओतो कान ने यह माना है कि जापान में परमाणु प्लांट में विस्फोट की वजह से विकिरण का स्तर बढ़ रहा है।

इससे पहले सोमवार को फुकुशिमा ऐटमी प्लांट के पहले और तीसरे रिएक्टर में विस्फोट हो चुके हैं। गौरतलब है कि शुक्रवार को जापान के उत्तर-पूर्व इलाके में आए भूकंप और सूनामी के चलते हजारों लोग मारे गए हैं या लापता हैं। मंगलवार की सुबह तक करीब 2414 लोगों की मौत होने की पुष्टि हो चुकी है। जबकि करीब 72 हजार इमारतें या घर इस तबाही में बर्बाद हो गए।

प्रकृति की यह आपदा जापान के फुकुशिमा में मौजूद परमाणु संयंत्रों लिए भी खतरनाक साबित हुई है। इन संयंत्रों में बिजली की सप्लाई ठप होने के चलते कूलिंग का काम नहीं हो पा रहा है। जापान के इवाकी क्षेत्र से पांच सदस्यों का एक भारतीय परिवार भी 11 मार्च से ही लापता बताया जा रहा है। 13 साल से जापान में रह रहे नरिंदर कुमार, उनकी पत्नी और तीन बच्चों का कुछ पता नहीं चल रहा है।

Friday, March 11, 2011

19 dead as huge tsunami hits Japan after massive quake

TOKYO: The biggest earthquake to hit Japan in 140 years struck the northeast coast on Friday, triggering a 10-metre tsunami that swept away everything in its path, including houses, cars and farm buildings on fire, media and witnesses said.

The death toll from the earthquake has reached 19, press reports said. The dead included a 67-year-old man crushed by a wall and an elderly woman killed by a fallen roof, both in the wider Tokyo area, press reports said.

Three were crushed to death when their houses collapsed in Ibaraki prefecture, northeast of Tokyo. 

The magnitude 8.9 offshore quake was followed by at least 19 aftershocks, most of them of more than magnitude 6.0. Dozens of cities and villages along the 1,300-mile (2,100-kilometer) stretch of the country's eastern shore were shaken by violent tremors that reached as far away as Tokyo, hundreds of miles (kilometers) from the epicenter in the sea off the northeastern coast.


The National Police Agency, charged with compiling nationwide data on natural disasters, could not immediately confirm the figures.

"The damage is so enormous that it will take us much time to gather data," an official at the agency said.

In Fukushima prefecture, four million homes were without power. The 8.9 magnitude quake caused many injuries, public broadcaster NHK said, sparked fires and the wall of water, prompting warnings to people to move to higher ground in coastal areas. ( Japan nuclear plants shut after quake )

Thursday, March 10, 2011

मेडिकल और डेंटल पाठ्यक्रम में शामिल होगा तंबाकू रोकथाम


नई दिल्ली. तंबाकू विरोधी अभियान को गति देने के लिए केंद्र सरकार ने एक नायाब योजना बनाई है। बहुत जल्द एमबीबीएस, एमडी के छात्रों को तंबाकू रोकथाम और इलाज का नया विषय भी पढ़ना पड़ेगा।

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया को अपने पाठ्यक्रमों में तंबाकू रोकथाम और इलाज संबंधी विषय शामिल करने के निर्देश दिए गए हैं। एमसीआई एमबीबीएस का नया पाठ्यक्रम तैयार करने के अंतिम चरण में है। 

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि ज्यादातर तंबाकू खाने वाले लोग इस लत से छुटकारा पाने की कोशिश करते हैं। लेकिन तंबाकू रोकथाम केंद्रों और संबंधित डॉक्टरों की कमी की वजह से उनकी कोशिश नाकाम हो जाती है। ऐसे में स्वास्थ्य मंत्रालय चाहता है कि इस समस्या को दूर करने के लिए सभी संकायों की पढ़ाई कर रहे डॉक्टरों के लिए अनिवार्य पाठ्यक्रम होना चाहिए।

4 पीढि़यों में पहली बार ठाकरे परिवार में हो रहा शराब का कारोबार

मुंबई. शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे के पोते पर बार में लड़कियों से अश्‍लील हरकत करवाने के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ है। इसके बाद यह परिवार एक बार फिर सुर्खियों में है। वैसे अब तक यह परिवार राजनीतिक बयानबाजी या पारिवारिक मतभेद के कारण ही सुर्खियों में रहता था, लेकिन इस बार चौथी पीढ़ी के काले कारनामे के कारण किरकिरी हो रही है। ऐसा शायद पहली बार हुआ है। इस परिवार पर एक नजर:

मुंबई में ठाकरे परिवार की 4 पीढि़यां

पहली पीढ़ी केशव सीताराम ठाकरे: बंबई (अब मुंबई) से ठाकरे परिवार का नाम केशव सीताराम ठाकरे (प्रबोधंकर ठाकरे) के आगमन के साथ जुड़ा। सीताराम का परिवार मध्‍यवर्गीय था। लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उनकी अच्‍छी पहचान थी। उन्‍होंने संयुक्‍त महाराष्‍ट्र के लिए जोरदार आंदोलन चलाया और अपनी नेतृत्‍व क्षमता का लोहा मनवाया। इसमें उनके दोनों बेटे (बाल ठाकरे और श्रीकांत ठाकरे) भी अपने कार्टून और लेखों के जरिए उनकी मदद करते थे।

दूसरी पीढ़ीबाल ठाकरे: बाल ठाकरे ने 1950 के दशक में बंबई में फ्री प्रेस जर्नल में बतौर कार्टूनिस्‍ट करियर शुरू किया। 1960 में उन्‍होंने भाई श्रीकांत (राज ठाकरे के पिता) के साथ मिल कर कार्टून की साप्‍ताहिक पत्रिका ‘मार्मिक’ शुरू की। कुछ साल बाद वह राजनीति में सक्रिय हो गए और बाकायदा पार्टी बना कर राजनीति में उतरे। उन्‍होंने अपनी छवि महाराष्‍ट्र के गौरव के रक्षक और स्‍थानीय लोगों के हक की लड़ाई लड़ने वाले नेता की बनाई। अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के लिए उन्‍होंने पार्टी का मुख पत्र ‘सामना’ भी निकाला और उसके संपादक बने।

2008 में हिंदी भाषी, खास कर बिहार और उत्‍तर प्रदेश के लोगों के प्रति भड़काऊ भाषण देकर वह काफी विवादों में घिरे। उनकी दलील थी कि मुंबई में बिहार और यूपी के लोगों की बढ़ती संख्‍या से मराठियों को रोजगार के संकट से जूझना पड़ रहा है। उन्‍होंने बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्‍चन और मुंबई के पुलिस कमिश्‍नर रहे एम एन सिंह को भी नहीं बख्‍शा था जो उत्‍तर प्रदेश के मूल निवासी हैं। श्रीकांत ठाकरे: बाल ठाकरे के भाई श्रीकांत कलाकार थे। वह कार्टून भी बनाते और फिल्‍मों के लिए संगीत भी लिखते थे। उन्‍होंने मराठी का अपना पहला गीत मुहम्‍मद रफी से गवाया था। किडनी की बीमारी के चलते 71 साल की उम्र में उनकी मौत हो गई। संगीतकार, कार्टूनिस्‍ट और उर्दू के अच्‍छे जानकार श्रीकांत ठाकरे का राजनीति से कोई लगाव नहीं था। उन्‍होंने ऑल इंडिया रेडियो के लिए भी काम किया था।

तीसरी पीढ़ी बाल ठाकरे के बेटे: बाल ठाकरे की शादी मीना से हुई और उनके तीन बेटे हुए- बिंदु माधव, जयदेव और उद्धव। माधव फिल्‍म निर्माण से जुड़े थे। उन्‍होंने 'अग्निपरीक्षा' जैसी कामयाब फिल्‍म बनाई थी। 20 अप्रैल, 1996 को सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई। वह पिता की रैली में भाग लेने जा रहे थे। मुंबई-पुणे हाईवे पर हुए इस हादसे में उनकी पत्‍नी, बेटी और बॉडीगार्ड घायल हो गए थे।

जयदेव ठाकरे का पत्‍नी स्मिता ठाकरे से तलाक हो चुका है। जयदेव ठाकरे ने वैचारिक मतभेद के चलते 1995 में अपने पिता बाल ठाकरे से नाता तोड़ लिया था जब शिव सेना-भाजपा की गठबंधन वाली सरकार महाराष्‍ट्र में सत्‍ता में थी। उन्‍होंने इसके बाद राजनीति से पूरी तरह नाता तोड़ लिया था। स्मिता ने ‘कैसे कहें’ (2007), ‘सैंडविच’ (2006) और ‘हसीना में मान जाएगी’ (1999) जैसी फिल्‍मों का निर्माण किया है। स्मिता को एक बेटा भी है जिसका नाम राहुल है। पिछले दिनों स्मिता के कांग्रेस शामिल होने की खबरें आई थीं। स्मिता मुक्ति फाउंडेशन नाम से एक चैरिटेबल ट्रस्‍ट भी चलाती हैं जिसकी स्‍थापना 1997 में की गई थी।

बाल ठाकरे के सबसे छोटे बेटे उद्धव फिलहाल पिता की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्‍मेदारी संभाल रहे हैं। वह शिव सेना के कार्यकारी अध्‍यक्ष हैं। वन्‍य जीवों के प्रति खासी दिलचस्‍पी रखने वाले उद्धव एक कुशल फोटोग्राफर भी हैं और उनके द्वारा खींची गई तस्‍वीरों की समय-समय पर प्रदर्शनी भी लगती है। कभी चाचा बाल ठाकरे के करीबी रहे राज ठाकरे ने कई साल पहले अपनी अलग पार्टी (मनसे) बना ली है। मराठी कायस्‍थ परिवार में जन्‍मे राज ठाकरे की मां कुंदा ठाकरे बाल ठाकरे की पत्‍नी मीना ठाकरे की सगी बहन हैं। राज ठाकरे की शादी शर्मिला ठाकरे से हुई है जो मशहूर मराठी थियेटर/फिल्‍म अभिनेता, निर्माता-निर्देशक मोहन वाघ की पु‍त्री हैं।

चौथी पीढ़ी ठाकरे परिवार की चौथी पीढ़ी के जिस चिराग से परिवार की बदनामी हुई है उनका नाम निहार है। वह बाल ठाकरे के सबसे बड़े बेटे बिंदु की संतान हैं। निहार कानून में स्‍नातक हैं और उन्‍होंने एक सॉलिसिटर फर्म में इंटर्नशिप भी किया है। बताया जा रहा है कि निहार ही उस संगीत बार और रेस्‍टोरेंट के मालिक हैं, जहां मंगलवार की रात छापामारी कर पुलिस ने लड़कियों को गिरफ्तार किया। इस बार पर मार्च 2007 में भी पुलिस ने छापा मारा था। उस वक्‍त 17 बार गर्ल्‍स को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ बॉम्‍बे पुलिस एक्‍ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।जयदेव और उनकी पूर्व पत्‍नी स्मिता का बेटा राहुल है, जबकि उद्धव-रश्मि का एक बेटा आदित्‍य ठाकरे है। आदित्‍य कविता लिखने में दिलचस्‍पी रखते हैं और मई 2007 में उनकी कविताओं का संग्रह ‘ह्वाइट एंड ब्‍लैक’ प्रकाशित हुआ था। राज ठाकरे को भी एक बेटा है जिसका नाम अमित है।

3-1-4-4 : ये भी है एक अनोखा रिकॉर्ड


तिलकरत्ने दिलशान वर्ल्डकप में सबसे कम रन देकर चार विकेट लेने वाले गेंदबाजों की सूची में शीर्ष पर आ गए है। वनडे इतिहास में वे दूसरे स्थान पर हैं। पहले स्थान पर वेस्टइंडीज के फिल सिमंस हैं।

कम रन देकर 4 विकेट
1. फिल सिमंस 10-8-3-4
2. दिलशान*   3-1-4-4
3. युवराज सिंह* 4.3- 2- 6-4
4 वीरेंद्र सहवाग  2.5 -0- 6-4 (* वर्ल्डकप के आंकड़े)

कम ओवर में चार विकेट
वीरेंद्र सहवाग 2.5-0-6-4
धनीराम (कनाडा) 2.5-1-10-4
दिलशान*    3-1-4-4
(* वर्ल्डकप का आंकड़ा)

दलाई लामा ने राजनीतिक जिम्मेदारियां छोड़ने की बात कही

तिब्बत की निर्वासित सरकार के राजनीतिक प्रमुख का पद छोड़ने के दलाई लामा के बयान को चीन ने चाल और राजनीतिक नाटक करार दिया है. चीन ने तीखी प्रतिक्रिया में कहा है कि दलाई लामा अंतरराष्ट्रीय समुदाय को धोखा दे रहे हैं. भारत में रह रहे तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने अपनी राजनीतिक जिम्मेदारियां छोड़ने का एलान किया है. हिमाचल प्रदेश के शहर धर्मशाला में दलाई लामा ने कहा कि 14 मार्च को निर्वासित तिब्बती संसद की बैठक में इस प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा. दलाई लामा बैठक में प्रस्ताव रखेंगे, जिसके बाद बदलावों पर वोटिंग होगी.

लीबिया: हथियार नहीं डालेंगे गद्दाफी, कोई चारा नहीं बचने पर कर सकते हैं खुदकुशी

रिपोली. लीबिया के नेता मुअम्मर गद्दाफी के बेटे सैफ-अल-इस्लाम ने कहा है कि वे कभी भी जनता के सामने समर्पण नहीं करेंगे। ब्रिटिश मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वे लीबिया के लिए लड़ेंगे, और लड़ते लड़ते ही मरना पसंद करेंगे। कई विशेषज्ञों का भी मानना है कि गद्दाफी कभी भी समर्पण नहीं करेगें और या तो उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा, या फिर वे आत्महत्या कर लेंगे।

लीबिया में पिछले 23 दिनों से चली आ रही हिंसा जारी है। गद्दाफी समर्थक सेनाओं ने जनता के कब्जे वाले हिस्से फिर छीन लिए हैं। लेकिन फ्रांस पहला देश हो गया है, जिसने जनता के संगठन को लीबिया का सही प्रतिनिधि मानते हुए मान्यता दे दी है।

इस्लाम ने कहा कि फ्रांस या कोई और देश, लीबिया की जनता से बात करे तो उन्हें पता चलेगा कि गद्दाफी ही पूरी जनता के प्रतिनिधि हैं। गद्दाफी के बेटे ने कहा कि ये हमारा देश है और हम यहां कभी भी नाटो या अमेरिकी सेनाओं की घुसपैठ नहीं होने देंगे।

क्या आत्महत्या करेंगे गद्दाफी?
गद्दाफी के खिलाफ जनता के आंदोलन को करीब 23 दिन हो गए हैं। मिस्र में राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक के खिलाफ आंदोलन 18 दिन में खत्म हो गया था, जबकि ट्यूनिशिया में आंदोलन करीब 29 दिन चला था। राजनीतिक विश्लेषकों अब इस बात का आंकलन कर रहे हैं कि गद्दाफी का राज कितने दिन चलेगा। यह साफ है कि गद्दाफी देश नहीं छोड़ेंगे। वे जिद्दी प्रवृत्ति के हैं और वे अंत तक लड़ेंगे। या तो वे गिरफ्तार होंगे, या कोई उनकी हत्या करेगा। और यदि फिर भी कोई चारा नहीं बचेगा, तो वे आत्महत्या करना पसंद करेंगे। राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सामी मोबयद के अनुसार वे जर्मनी के नेता एडोल्फ हिटलर की तरह ऐसा कर सकते हैं। लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि बाहर से जितना बहादुर दिखते हैं, अंदर से उतने ही कमजोर और असुरक्षित भी हैं। उनका व्यवहार, रंगीन वेशभूषा से साफ है कि वे अपनी कमजोरी छुपाने का प्रयास करते हैं। 

जनता के लड़ाकों को झटका
लीबिया के तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी समर्थक सेनाओं ने कई शहरों पर राकेट हमले और हवाई हमले किए हैं, जिससे जनता के लड़ाकों को पीछे हटना पड़ा है। देश के पूर्वी हिस्से में जबर्दस्त लड़ाई जारी है और अब गद्दाफी समर्थक जनता के कब्जे से शहर वापस छीनने का प्रयास कर रहे हैं। जनता के पास हथियारों की कमी है और अब गद्दाफी समर्थक उन पर हावी हो रहे हैं। जनता ने लीबिया के कई हिस्सों पर कब्जे के बाद, त्रिपोली के इर्द गिर्द जमा होना शुरू कर दिया था। लेकिन अब गद्दाफी समर्थकों ने हमले के बाद वे वापस लौट रहे हैं।

अमेरिका ने बढ़ाया दबाव
व्हाइट हाउस ने लीबिया के तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी को अलग थलग करने और सत्ता से बाहर करने को लेकर पांच बिंदु कार्यक्रम तय किया है। अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि वे अगले सप्ताह लीबिया के जनता समर्थक नेताओं से मुलाकात करेंगीं और पता करेंगीं कि वे किस तरह की मदद चाहते हैं। हालांकि अमेरिका ने अभी जनता समर्थकों को मान्यता नहीं दी है। नाटो ने अबी तक लीबिया को नो फ्लाइंग जोन घोषित करने के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है। गुरुवार को नाटो के 28 सदस्य देशों की इस बारे में बैठक थी, लेकिन कोई भी निर्णय अगले सप्ताह तक के लिए टाल दिया गया है। 

Wednesday, March 9, 2011

16 सिद्धांतों सफलता

1. जाओ और अपनी सुविधा क्षेत्र के बाहर रहते हैं.

मुझे विश्वास है कि बहुत ज्यादा नहीं कोई महत्व का होता है जब हम अपनी सुविधा क्षेत्र में हैं. मैंने सुना है, "लेकिन मैं सुरक्षा के बारे में चिंतित हूँ." लोगों का कहना है मेरा जवाब है कि आसान है: "सुरक्षा शवों के लिए है."

2. कभी छोड़ देना.

लगभग कुछ भी नहीं पहली बार यह प्रयास किया है काम करता है. क्योंकि आप का क्या लगता है के लिए काम करने नहीं कर रहे हैं क्या मतलब है, नहीं है कि यह काम नहीं करेगा. यह सिर्फ मतलब है कि यह जिस तरह से आप यह कर रहे हैं काम नहीं कर सकता. अगर यह आसान था, हर कोई कर रहा होगा, और आप एक मौका नहीं होता.

3. जब आप छोड़ने के लिए तैयार हो, तुम करीब से आपको लगता हो.

वहाँ एक पुरानी चीनी कहावत है कि मैं सिर्फ प्यार है, और मुझे विश्वास है कि यह तो सच है. यह इस तरह है: "के लिए बड़ा हो जाएगा छोड़ दिया बस से पहले आप सफल रहे हैं के बारे प्रलोभन."

4. जो आप चिंता है, न केवल बुरी बात यह है कि हो सकता है स्वीकार करते हैं, लेकिन यह एक बिंदु बनाने के लिए यों तो सबसे बुरी बात क्या हो सकता है संबंध है.

शायद ही कभी बहुत खराब परिणाम का एक बादल के रूप में कहीं भी बुरा के रूप में पास किया जाएगा "अपरिभाषित परिणाम हैं." मेरे पिता ने मुझ पर, जल्दी बताओ, जब मैं संघर्ष कर रहा था और मेरे लिए पार्सन्स जा रहा है, प्रौद्योगिकी प्राप्त करने की कोशिश शर्ट खोने होगा "ठीक है, रॉबर्ट, अगर यह काम नहीं करता है, वे तुम्हें नहीं खा सकता."

5. तुम क्या करने के लिए होता है करना चाहते हैं पर ध्यान दें.

याद रखें कि पुरानी कहावत है, "जैसा कि आप सोचते हैं, तो आप किया जाएगा."

6. चीजों को एक दिन ले लो एक समय में.

कोई बात नहीं कितना मुश्किल अपनी स्थिति है, तो आप इसे माध्यम से मिल सकता है अगर तुम बहुत दूर भविष्य में नहीं लग रहे हो सकता है, और वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित. तुम कुछ के माध्यम से एक दिन एक समय में प्राप्त कर सकते हैं.

7. हमेशा आगे बढ़ सकता है.

कभी नहीं निवेश करना बंद करो. कभी नहीं सुधार करना बंद करो. कभी कुछ नया कर बंद करो. इस समय आप अपने संगठन में सुधार रोकने के लिए, यह करने के लिए मर शुरू होता है. इसे अपने लक्ष्य को बेहतर प्रत्येक और हर दिन के लिए कुछ छोटे रास्ते में. Kaizen के जापानी अवधारणा याद रखें. छोटे दैनिक सुधार अंततः विशाल लाभ में परिणाम.

8. तय करने के लिए जल्दी करो.

याद जनरल जॉर्ज एस Patton क्या कहा: ". एक अच्छी योजना आज हिंसक मार डाला और दूर दूर तक एक आदर्श योजना कल से बेहतर है"

9. महत्व के उपाय सब कुछ.

मैं कसम खाता हूँ यह सच है. कुछ भी है कि मापा जाता है और देखा, सुधार.

10. कुछ भी ऐसा नहीं किया जाता है खराब होगा.

यदि आप समस्याओं को आप के बारे में पता नहीं है, कुछ ही क्षणों लेने के लिए और क्षेत्रों में आप थोड़ी देर के लिए नहीं की जांच की है पर गंभीरता से विचार को उजागर करना चाहते हैं. मैं गारंटी आप समस्याओं वहाँ होगा.

11. अपने प्रतिद्वंद्वियों पर ध्यान दे, लेकिन आप क्या कर रहे हैं और अधिक ध्यान देते हैं.

जब आप अपने प्रतिस्पर्धियों को देखो, याद है कि सब कुछ दूरी पर सही दिखता है. भी ग्रह पृथ्वी, अगर आप अंतरिक्ष में काफी दूर तक मिलता है, एक शांतिपूर्ण जगह की तरह दिखता है.

12. कभी किसी को आप के चारों ओर धक्का.

हमारे समाज में, हमारे कानून और के साथ भी खेलने का मैदान, तुम बस के रूप में आप और क्या किसी के रूप में कार्य कर रहे हैं कि तुम क्या कर रहे हैं कानूनी है प्रदान की है, सही है बहुत है.

13. कभी जीवन निष्पक्ष होने की उम्मीद है.

जीवन उचित नहीं है. तुम अपनी खुद टूट जाता है बनाते हैं. आप अच्छा कर रही हो जाएगा अगर केवल अर्थ निष्पक्ष आप के लिए है, कुछ है कि आप भुगतान करते हैं जब आप एक बस (यानी, किराया) पर मिलता है.

14. अपनी खुद की समस्याओं का समाधान.

आप पाएंगे कि अपने खुद के समाधान के साथ आने से, आप प्रतिस्पर्धा में बढ़त का विकास होगा. Masura Ibuka, सोनी के सह संस्थापक ने कहा, यह सबसे अच्छा: "आप कभी दूसरों का पालन करके प्रौद्योगिकी, व्यापार, या कुछ में सफल हो." वहाँ भी एक पुरानी कहावत है कि एशियाई मैं अपने आप को बार बार की याद दिलाती है. यह इस तरह है: "एक बुद्धिमान आदमी को अपने ही वकील रहता है."

15. अपने आप को बहुत गंभीरता से न लें.

ऊपर हल्का. अक्सर, हम क्या हासिल की कम से कम आधे भाग्य के कारण है. हममें से कोई भी ज्यादा के रूप में नियंत्रण में हैं के रूप में हमें लगता है कि हम कर रहे हैं पसंद है.

16. वहाँ हमेशा मुस्कान के लिए एक कारण है.

यह पता लगाएं. आखिर, क्या तुम सच में भाग्यशाली बस जिंदा रहने के लिए कर रहे हैं. जिंदगी छोटी है. अधिक से अधिक, मैं अपने छोटे भाई से सहमत हूँ. वह मुझे हमेशा याद दिलाता है: "हम यहाँ एक लंबे समय के लिए नहीं कर रहे हैं, हम एक अच्छा समय के लिए यहाँ हैं!"

बच्चे को याद रहता है गर्भ में सुना संगीत

लंदन. गर्भ में अजन्मे बच्चे जो संगीत सुनते हैं, उसे पैदा होने के बाद भी याद रखते हैं। एक हालिया शोध में शोधकर्ताओं ने तीन हफ्ते तक गर्भवती महिलाओं को संगीत सुनाया और बच्चे के जन्म के बाद फिर से उन्हें अध्ययन में शामिल किया।

वैज्ञानिकों ने पाया कि जैसे ही बच्चों ने गर्भ में सुने हुए संगीत को फिर से सुना तो उनके दिल की धड़कन तेजी से धीमी हो गई। वैज्ञानिकों ने जाना कि कैसे ध्वनि बच्चों को गर्भ में भी प्रभावित करती है और कैसे वे भाषा को सुनने और सीखने की कोशिश करते हैं। इसके लिए 50 गर्भवती महिलाओं को दिन में दो बार संगीत सुनाया गया।

मयांक चेंग ने जीता झलक..का ताज

गलवार की रात एक फैसले की रात साबित हुई, क्योंकि इस रात में वो फैसला सुनाया गया जिसका इंतजार पूरे देश को था। जी हां हम बात कर रहे है सोनी पर प्रसारित होने वाले देश के सबसे बड़े डांस रियलिटी शो झलक दिखला जा की। जिसका ग्रैंड फिनाले कल यानी मंगलवार को था, जिसे जीता हर दिल अजीज मयांक चेंग ने।

अपनी आवाज से तो पहले ही वो लाखों-करोड़ो लोगों को अपना मुरीद बनाने वाले चेंग ने अब अपने ठुमकों से भी लोगों का दिल जीत लिया है जिसका नतीजा ये हुआ कि वो डांस रियलिटी शो झलक....के विजेता बन बैठे। वैसे जितना इस खिताब के पीछे लोगों की दुआएं हैं उतनी ही चेंग और उनके कोरियोग्राफर मलीषा की मेहनत है।

सोनी टीवी के रियलिटी शो ‘झलक दिखला जा-4’ का फाइनल रंगारंग रहा, इस शो में जहां शो की प्रमुख आकर्षण माधुरी दीक्षित ने अपनी ही फिल्म पुकार के हिट सांग के सरा...सरा पर जबरदस्त परफार्मेश देकर ये साबित कर दिया कि आखिर क्यों उन्हें बॉलीवुड क्वीन कहा जाता है और लोग क्यों उनके इतने दीवाने हैं। माधुरी के अलावा शो के दूसरे जज रेमो ने भी अपनी शानदार प्रस्तुति से सभी को ये जता दिया कि आखिर क्यों वो अपने प्रतिभागियों की कमी निकाला करते थे

हसन अली पर आतंकवाद का केस क्यों नहीं: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली।। सुप्रीम कोर्ट ने पुणे के घोड़ा कारोबारी हसन अली खान के फर्जी पासपोर्ट मामले में सीबीआई की जांच पर गंभीरता से विचार किया और सुझाव दिया कि उसके खिलाफ आतंकवाद से जुड़े आरोप लगाए जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने सीधे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से हसन अली मामले से जुड़ी जांच की प्रगति रिपोर्ट भी मांगी।

जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी और एस.एस. निज्जर की बेंच ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या हसन अली के खिलाफ दर्ज फर्जी पासपोर्ट मामले में सीबीआई से जांच करवाई जा सकती है? हसन अली के खिलाफ फर्जी पासपोर्ट मामले में की गई जांच से असंतुष्ट बेंच ने कहा कि ना तो जांच तेजी से की गई और ना ही जांच सही दिशा में की गई। जांच से कुछ हासिल नहीं हुआ है।

हसन अली खान के रिश्ते इंटरनैशनल आर्म्स डीलर से होने की बात सामने आने के बाद कोर्ट ने कहा है कि यह देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। हसन अली पर आतंकवाद से जुड़े आरोप क्यों नहीं लगाए जाते?

गौरतलब है कि हसन अली को सोमवार रात को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था और आज उन्हें कोर्ट में पेश किया जाना है। 53 वर्षीय अली से ईडी ने सोमवार को पुणे में पूछताछ की और बाद में उन्हें मुंबई लाया गया। लेकिन मंगलवार सुबह ब्लड प्रेशर की शिकायत के बाद उन्हें हॉस्टिपल में भर्ती करवाना पड़ा।

पुलिस को हत्यारे से पहले चश्मदीद की तलाश

नई दिल्ली.डीयू की छात्रा राधिका तंवर की हत्या के दो दिन बाद भी दिल्ली पुलिस के हाथ खाली हैं। जांच के लिए कई टीमें गठित की गई है, लेकिन पुलिस को हत्यारे से पहले किसी ऐसे चश्मदीद की तलाश है, जो इस वारदात को अंजाम देने वाले के बारे में जानकारी दे सके।

बुधवार को डीसीपी एचजीएस धालीवाल ने जब संवाददाता सम्मेलन बुलाया तो लगा कि हत्यारे का कोई सुराग मिल गया है, लेकिन सम्मेलन में डीसीपी बार-बार लोगों से अपील करते नजर आए कि हत्यारे की पहचान करने वाले को सामने आना चाहिए। हालांकि इस बीच पुलिस ने वारदात के समय मौजूद लोगों से पूछताछ के बाद एक स्केच भी जारी किया है।

डीसीपी के मुताबिक राधिका का हत्यारा उसकी गतिविधियों के बारे में जानकारी रखता था, उसका मकसद लूटपाट करना नहीं था। यही कारण है कि उसने बस स्टॉप पर राधिका का इंतजार किया और मौका मिलते ही गोली मार दी। उन्होंनें आशंका जताई कि हत्यारा पिछले काफी समय से उसका पीछा कर रहा था।

जब राधिका से उसे सकारात्मक जवाब नहीं मिला तो उसने उसकी हत्या कर दी। धालीवाल ने बताया कि राधिका के परिजन जांच में पूरा सहयोग कर रहे हंै, लेकिन लोगों से मदद नहीं मिल पा रही है।

उन्होंने कहा कि जिस इलाके में वारदात को अंजाम दिया गया है वहां बहुत भीड़ थी, इसलिए संभव है कि लोगों ने कातिल को जरूर नजदीक से देखा होगा, लेकिन अफसोस है कि कोई व्यक्ति अभी तक पहचान के लिए सामने नहीं आया है।

पुलिस ने घटनास्थल के आसपास मौजूद लोगों से पूछताछ के आधार पर एक स्केच जारी किया है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया है कि वारदात के बाद काली टी शर्ट में छोटे कद और सांवले रंग का एक 20 वर्षीय युवक भागते हुए देखा गया था।

छात्रा का घर कातिल के मकान के आसपास तो नहीं!

डीयू की छात्रा राधिका के हत्यारे की तलाश में दिल्ली पुलिस की आधा दर्जन से अधिक टीमें गठित कर दी गई हैं। बुधवार को इन टीमों ने अपनी-अपनी जांच के आधार पर कापासेहड़ा, बदरपुर के अलावा नारायणा गांव में भी छापेमारी की। सूत्रों के अनुसार भले ही पुलिस को यह न मालूम हो कि कातिल कौन है, लेकिन उसे यह शक जरूर है कि कातिल राधिका के घर के आसपास ही रहता है।

सूत्रों के अनुसार पुलिस पूरे हालात पर नजर रखते हुए जांच आगे बढ़ा रही है। पुलिस का मानना है कि हत्यारा राधिका की जान पहचान का हो सकता है, जिसके बारे में शायद उसने कभी किसी को नहीं बताया होगा।

बुधवार को दिन भर खबरंे भी उड़ती रहीं कि हत्यारा नारायणा गांव का ही निवासी है और वह वहां की एक फैक्टरी में काम करता है। इस हत्या के पीछे एकतरफा प्रेम की आशंका से पुलिस भी इनकार नहीं कर पा रही है।

इसके अलावा, पुलिस को फिलहाल हत्या का कोई दूसरा कारण भी नहीं दिखाई दे रहा है। डीसीपी एचजीएस धालीवाल के मुताबिक पुलिस इस एंगल से ही जांच को आगे बढ़ा रही है। इसी के चलते राधिका के दोस्तों और नजदीकियों के अलावा साथ पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं से भी पूछताछ की जा रही है।

संसद में उठा हत्या का मामला

मंगलवार को धौला कुंआ इलाके में दिनदहाड़े कॉलेज छात्रा राधिका तंवर की हुई हत्या की गूंज बुधवार को संसद में भी सुनाई दी। भाजपा सांसद सैयद शाहनवाज हुसैन ने प्रश्नकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाया।

हुसैन ने कहा कि जब महिला दिवस के अवसर पर लोकसभा की अध्यक्ष, मीरा कुमार देश की महिलाओं को बधाई दे रही थी, उसी समय धौला कुंआ इलाके में रामलाल आनंद कॉलेज की एक छात्रा को सरेआम गोली मार दी गई। अब तो दिल्ली की मुख्यमंत्री ने भी राजधानी को महिलाओं के लिए असुरक्षित करार दिया है।

उधर, शाहनवाज हुसैन और प्रदेश अध्यक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने इस हत्याकांड के विरोध में मृत छात्रा के गांव नारायणा में कैंडल मार्च निकाला और हत्यारे को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की।

सहेलियांे से भी पुलिस को निराशा हाथ लगी

पुलिस की मानें तो राधिका की खास तीन सहेलियां है, लेकिन इनसे भी कोई अधिक जानकारी नहीं मिल पाई है। डीसीपी एचजीएस धालीवाल के मुताबिक मंगलवार को जब राधिका की हत्या की गई, इतफाक से कोई सहेली उसके साथ नहीं थीं, जबकि तीन सहेलियों में से एक रोजाना उसके साथ कॉलेज जाया करती थी। तीनों से भी पुलिस ने इस उम्मीद के साथ पूछताछ की कि शायद कोई सुराग मिल जाए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

अमेरिका में यौन उत्पीड़न के आरोपी 'गुरु' को सजा

पीटीआई॥ ह्यूस्टन
अमेरिका में दो लड़कियों का यौन उत्पीड़न करने के आरोपी धर्मगुरु प्रकाशानंद सरस्वती (82 वर्ष) को सजा सुनाई गई है। यौन उत्पीड़न 20 बार किए जाने का आरोप था। अब हर आरोप के लिए 14 साल कैद और 10 हजार डॉलर जुर्माने की सजा सुनाई गई है।
हेज काउंटी की आठ पुरुषों और चार महिलाओं की जूरी ने मंगलवार को सजा सुनाई। आश्रम के प्रवक्ता का कहना है कि गुरु कहां हैं, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। एक भक्त पीटर स्पीजेल ने भी कहा है कि उसके पास प्रकाशानंद की जानकारी नहीं है। धनी पीटर ने गुरु की बॉण्ड पर रिहाई के लिए 10 लाख डॉलर दिए थे। इससे गुरु को बॉण्ड पर रिहा कर दिया गया था। वह सजा सुनाए के दौरान सोमवार को नहीं आया तो जज ने बॉण्ड खत्म करने और गिरफ्तारी वॉरंट जारी करने के लिए कहा था।
प्रकाशानंद ने सेंट्रल टेक्सस में बरसाना धाम आश्रम की स्थापना की थी। आरोप था कि उसने वहीं लड़कियों का यौन उत्पीड़न किया। करीब 27 और 30 साल की दो लड़कियों ने तीन साल पहले जानकारी दी थी कि 1993 से 1996 के बीच जब हम किशोरावस्था में थीं, तब प्रकाशानंद ने हमारा यौन उत्पीड़न किया था। इनमें एक लड़की ने कहा कि हम उनके आश्रम में रहती थीं, जहां सख्त ड्रेस कोड लागू था और साथ ही जबरदस्त घेरेबंदी भी थी।
प्रकाशानंद के वकील ने आश्रम में लड़की की स्विमसूट और शॉर्ट्स में तस्वीरें दिखाईं। यह भी बताया कि लड़की 1998 में आश्रम छोड़ने के बाद दोबारा आई। बकौल वकील, 'जिन घटनाओं का जिक्र किया गया, उनके बाद लड़की ने प्रकाशानंद को बर्थडे ग्रीटिंग कार्ड दिया। लड़की ने पैसे ऐंठने के लिए यह दावा किया है।' उधर लड़की ने कहा था कि पैसा कमाना मेरा मकसद नहीं है। जहां तक आरोप देर से लगाने की बात है तो मुझे पहले आश्रम में रह रहे अपने परिवार की चिंता थी।
प्रकाशानंद सरस्वती को श्री स्वामीजी के नाम से भी जाना जाता है। उसका दावा है कि दुनिया भर में मेरे हजारों अनुयायी हैं। बरसाना धाम आश्रम जिस संगठन से जुड़ा है, उसके भारत और अन्य देशों में अस्पताल और मंदिर हैं।

कंडोम के इस्‍तेमाल पर कट्टरपंथियों के खिलाफ खड़े हुए पढ़े-लिखे मुसलमान

नई दिल्ली. टीवी, सिनेमा देखने और कंडोम के इस्तेमाल के प्रश्न पर मुस्लिम समुदाय दो धड़ों में बंट गया है। जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने हाल ही में युवाओं को टीवी और सिनेमा से दूर रहने को कहा है और कहा है कि ए़ड्स से बचाव के लिए जो उपाय (कंडोम) बताया जाता है, वही समाज में युवाओं के पतन का मुख्य कारण है। लेकिन उदारपंथी धड़े ने इसकी मुखालफत की है।

जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने हाल ही में एक बैठक में प्रस्ताव पारित किया कि सभी गांवों और शहरों में मुस्लिम समाज को कमेटियां बनानी चाहिए, जो युवाओं को कड़ाई से धार्मिक रीति रिवाजों को मानने की शिक्षा दे और उन्हें टीवी, सिनेमा के अलावा दूसरे नैतिक रूप से भ्रष्ट करने वाले तरीकों से दूर रहने के लिए प्रेरित करे। लेकिन उदारवादी मुस्लिमों ने इसकी आलोचना की है।

ऑब्जेक्टिव स्टडीज संस्थान के चेयरमैन मोहम्मद मंजूर आलम ने कहा कि यदि युवा टीवी ही नहीं देखेंगे तो वे पीस टीवी और विन टीवी, जो मुस्लिम धर्म के बारे में शिक्षा देते हैं और जागरुक करते हैं, को भी नहीं देख सकेंगे। उन्होंने कहा कि टीवी चैनलों में ज्ञान और जानकारी की बातें भी आती हैं। अब युवाओं को अच्छे और बुरे के बीच अंतर करना होगा। लेकिन टीवी देखने से कैसे दूर रखा जा सकता है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से जुड़े हुए मुंबई के वकील वाईएच मुछाला ने कहा कि यदि इस प्रस्ताव का अर्थ यह है कि कंडोम का विज्ञापन करने वाली कंपनियां भड़काऊ विज्ञापन देती हैं तो यह तर्क माना जा सकता है लेकिन लेकिन शब्दों का चयन बेहतर होना चाहिए था। संगठन के प्रस्ताव से सही संदेश नहीं जा रहा है।

जामिया सेंटर फॉर दलित एंड माइनॉरिटी स्टडीजके प्रोफेसर मुज्तबा खान के अनुसार सरकार द्वारा कंडोम का प्रचार-प्रसार वैज्ञानिक आधार पर किया जाता है। फिर यह सभी धर्मों के लिए है, केवल मुस्लिम धर्म के लिए नहीं। यह तो जागरुकता का मामला है। यदि इन जानकारियों के साथ ही उन्हें मुस्लिम धर्म के बारे में शिक्षा दी जाए, तो उनमें जागरुकता आएगी।

जमीयत-उलेमा-ए-हिंद द्वारा पारित प्रस्ताव में मुस्लिम युवाओं के धर्म से भटकने पर भी चिंता जताई गई है। प्रस्ताव में कहा गया है कि मुस्लिम युवाओं में सेक्स, ड्रग्स का चलन काफी बढ़ गया है। मुस्लिम युवा पश्चिमी सभ्यता से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं और यदि यह जारी रहा तो इससे धर्म की पहचान का संकट पैदा हो सकता है।  प्रस्ताव में आडंबरपूर्ण शादी की आलोचना की गई और दहेज प्रथा को पूरी तरह खत्म करने की बात कही।

फतवे को मानना बाध्यता नहीं
इस्लाम धर्म में फतवा उस सलाह अथवा दिशा निर्देश को कहा जाता है जोकि इस्लामी शरिया तथा इस्लामी कायदे-कानून को मद्देनज़र रखते हुए इस्लाम के किसी विद्वान द्वारा जारी किया जाता है। आमतौर पर फतवा जारी करने का अधिकार मुफ्ती या दूसरे मुस्लिम विद्वान को ही होता है। कुछ इस्लामिक संस्थाओं ने फतवा जारी करने के लिए विद्वानों की समिति गठित की है।

फतवा मात्र दिशा निर्देश अथवा सलाह की हैसियत ही रखता है यह आदेश कतई नहीं है। किसी फतवे को मानना आम मुसलमान के विवेक पर निर्भर है। इस्लामी धर्मगुरु समय-समय पर सामाजिक मुद्दों पर फतवे जारी करते हैं, जिनका उद्देश्य समाज का उत्थान होता है।

अक्सर विवादों में घिरे हैं फतवे
मुस्लिम विद्वानों ने एक फतवा जारी कर योग को गैर-मुस्लिम बताया गया। कुछ फतवों में औरतों को गैर-मर्दों के साथ बात करने के लिए भी मना किया गया है। ख़ुशबू, इत्र अथवा परफ्यूम महिलाओं को इस्तेमाल न करने की सलाह दी गई है। खनकती हुई चूड़ियां तथा पायल आदि पहनने को भी गैर इस्लामी बताया गया है। फतवे के अनुसार इन सब वस्तुओं के प्रयोग से मर्द औरतों की ओर आकर्षित होते हैं। फिल्म स्टार सलमान ख़ान द्वारा पूजा करने पर भी फतवा जारी हुआ।

वंदेमातरम गाए जाने के विरुद्ध भी फतवा जारी किया जा चुका है। संगीत सुनने, टीवी देखने तथा नाच गाने आदि के विरुद्ध भी फतवे आ चुके हैं। क्रेडिट कार्ड रखने, कैमरायुक्त मोबाईल फोन को भी फतवों में इस्लाम के खिलाफ बताया गया है। फतवों के अनुसार बीमा करना या कराना ब्याज आधारित व्यवस्था, जैसे बैंक आदि के खिलाफ भी फतवे जारी हुए हैं।


हसन अली: कबाड़ी बन गया खरबपति कारोबारी, देश का सबसे बड़ा टैक्‍स ‘चोर’


नई दिल्‍ली. देश में टैक्‍स चोरी के सबसे बड़े आरोपी हसन अली खान की असल जिंदगी किसी फिल्‍मी कहानी जैसी लगती है। पुणे के इस व्यवसायी पर स्विस बैंक में करीब आठ अरब अमेरिकी डॉलर का काला धन जमा करने का आरोप है। लेकिन उसने कबाड़ का धंधा करने की बात कबूल की थी। उसका कहना है कि इस धंधे से उसे सालाना 30 लाख रुपये की कमाई होती है। लेकिन शानदार पार्टियां व घुड़दौड़ आयोजित करने के साथ महंगी कारें रखने के शौकीन हसन अली पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का शिकंजा कसता जा रहा है।खान की कहानी की शुरुआत हैदराबाद से होती है। वह हैदरबाद में तैनात रहे एक्‍साइज अफसर का बेटा है। खान के शुरुआती दिनों के बारे में कई बाते सामने आती रही हैं लेकिन वह चर्चा में उस वक्‍त आया जब उसके पास बड़े पैमाने पर काला धन की बात सामने आई। शुरुआती दिनों में उसने पुरानी चीजें बेचने सहित कई तरह के धंधे किए। हसन अली का दावा है कि वह हैदराबाद के निजाम के खानदान से ताल्‍लुक रखता है।घुड़दौड़ के कारोबार की दुनिया से वह 1990 के शुरुआत में जुड़ा जब वह हैदराबाद में ही रहता था। बाद में वह इसी कारोबार से जुड़े रहते हुए मुंबई गया फिर पुणे और अन्‍य शहरों का रुख किया। कहा जाता है कि उसने अपनी पहली पत्‍नी को तलाक दे दिया है जिसके साथ वह हैदराबाद में रहता था। वह रहीमा (मौजूदा पत्‍नी) से शादी करने के बाद पुणे जाकर बस गया। देश के कोने में कहीं भी होने वाले घुड़दौड़ में अक्‍सर यह जोड़ी दिख जाती है।मुंबई के कोर्ट में चल रहे हसन अली केस में कोर्ट ने ईडी को फटकार भी लगाई है। स्‍पेशल कोर्ट ने जांच एजेंसी से पूछा किया कि काले धन को लेकर हसन अली को कस्टडी में रखने के लिए अभी तक कोई मुकदमा क्‍यों नहीं दर्ज की है। 58 साल के हसन के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार को मंगलवार को फटकार लगाई थी।

शीर्ष अदालत ने सरकार से पूछा कि हथियार कारोबारियों और आतंकी गतिविधियों में लिप्त लोगों से संपर्क रखने के आरोप में हसन अली के खिलाफ पोटा सहित अन्य सख्त कानूनों के तहत मुकदमा क्यों नहीं दर्ज कराया गया? विदेशों में काला धन रखने के आरोप में ईडी ने हसन को गत सोमवार देर रात गिरफ्तार किया था। आयकर विभाग ने 2007 में हसन अली के घर छापा भी मारा था। आरोप है कि हसन अली विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के लिए एजेंट के तौर काम करता है। इसके बदले वह ऐसे लोगों से कमीशन वसूलता है। खान पर 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी का आरोप है। सरकार ने पिछले साल राज्‍य सभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि हसन अली पर यह बकाया ब्‍याज सहित 70 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक हो गया है।

ईडी ने 2007 में स्विस बैंक से हसन अली के एकाउंट का ब्‍यौरा मांगा था। लेकिन स्विस बैंक ने उससे जुड़ी जानकारियां भारतीय जांच एजेंसियों को साझा करने से मना कर दिया था। उन्‍होंने इसके लिए तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए कहा कि भारत में टैक्‍स रिटर्न फाइल नहीं करना स्विट्जरलैंड के कानूनों के तहत अपराध नहीं है।

हसन अली मामले में पहले केस तो ठीक से बनाओ

नई दिल्ली. देश में टैक्स चोरी के सबसे बड़े आरोपी और घोड़ों के व्यापारी हसन अली खान मामले में मुंबई की एक अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की खिंचाई की है। कोर्ट के मुताबिक, ईडी ने हसन अली के खिलाफ केस तैयार करने में ढिलाई बरती।

ईडी ने हसन अली का रिमांड मांगा था। इस संबंध में अब गुरुवार को सुनवाई होगी। सुनवाई के दौरान प्रधान सेशन जज एमएल टाहिलियानी ने ईडी से कहा कि यदि उन्हें केस तैयार करने के लिए समय चाहिए तो वे ले सकते हैं। लेकिन यदि बिना तैयारी के आएंगे तो वे उनकी बात नहीं सुनेंगे।

क्षेत्राधिकार का सवाल:

ईडी ने हसन अली के रिमांड की याचिका मंगलवार को लगाई थी। इस पर सुनवाई करते हुए जज ने ईडी से सवाल किया था कि यह मामला उनके क्षेत्राधिकार का है भी या नहीं। फिर उन्होंने सुनवाई बुधवार तक के लिए टाल दी थी। लेकिन जब बुधवार को सुनवाई शुरू हुई तो भी ईडी क्षेत्राधिकार के बारे में पुख्ता तर्क नहीं दे पाया। जज ने इस मामले की सुनवाई फिर टाल दी है।

गंभीर आरोप:

हसन अली को सोमवार रात गिरफ्तार किया गया था। हसन अली पर विदेश में 8 अरब डॉलर (करीब 36 हजार करोड़ रु.) का कालाधन जमा करने, 40 हजार करोड़ रुपए की टैक्स चोरी करने और हवाला कारोबार में लिप्त होने के आरोप हैं। इसके अलावा हसन के दाऊद इब्राहिम तथा हथियारों के तस्कर अदनान खशोगी से संबंध होने का खुलासा भी हुआ है। हालांकि, हसन इन सभी आरोपों से इनकार कर रहा है।

सुप्रीम कोर्ट का रुख सख्त:

सुप्रीम कोर्ट ने हसन अली के हथियार सौदागरों और आतंकी संगठनों के रिश्ते होने के आरोपों से केंद्र सरकार से मंगलवार को पूछा था कि उसके खिलाफ आतंक निरोधक कानून के तहत कार्रवाई क्यों नहीं हो रही।

अखिलेश की गिरफ्तारी पर सपाइयों का हंगामा

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार और सपा के बीच शुरू हुई जंग का एक हिस्सा अब दिल्ली में लड़ा जाएगा। प्रदेश सरकार के खिलाफ आंदोलन के चलते अखिलेश यादव समेत दूसरे सपा सांसदों की जगह-जगह गिरफ्तारी को पार्टी उनके विशेषाधिकार हनन का मुद्दा बनाएगी। पार्टी सांसदों ने बुधवार को इन मामलों को लोकसभा में फिर उठाया। साथ ही प्रदेश सरकार पर राजनीतिक विरोधियों को प्रताड़ित करने का आरोप उसे बर्खास्त करने की मांग की।
मायावती सरकार के खिलाफ आंदोलन के चलते गिरफ्तारी के बाद सैकड़ों समर्थकों के साथ इटावा जेल में बंद सपा महासचिव व राज्यसभा सदस्य प्रो. रामगोपाल यादव ने कहा कि बिना पर्याप्त वजह के सांसदों को गिरफ्तारी करना अवमानना के दायरे में आता है। पार्टी सांसद अखिलेश यादव को बुधवार को लखनऊ में अमौसी हवाई अड्डे से निकलते ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। न तो वहां कोई आंदोलन हो रहा था और न ही वहां धारा-144 लागू थी। यह संसद की अवमानना है। लोकसभाध्यक्ष से इसकी शिकायत की जाएगी।
उन्होंने कहा कि इसी तरह सांसद रेवतीरमण सिंह व पार्टी के दूसरे सांसदों को भी अनावश्यक रूप से गिरफ्तार किया गया है। बिना किसी आंदोलन में शामिल हुए ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव को दो दिन पहले लखनऊ में पुलिस ने घर से बाहर नहीं निकलने दिया। सांसद की अवमानना की इस कार्रवाई की शिकायत लोकसभाध्यक्ष से पहले ही की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि दरअसल प्रदेश सरकार शांतिपूर्ण आंदोलन को भी दमन के जरिए कुचलने पर उतर आई है। यही वजह है कि वह सांसदों की अवमानना के हद तक जा रही है।
बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही सपा सांसद लोकसभा अध्यक्ष मीराकुमार केआसन तक आ गये। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों को प्रताड़ित कर रही है। उसे बर्खास्त किया जाना चाहिए। मीरा कुमार ने कहा कि इस मामले में जांच की बात के बारे में वह मंगलवार को ही बता चुकी हैं, इसलिए सांसदों को इस पर शोर नहीं मचाना चाहिए।

अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की संपत्ति को कराया अपने नाम


मुंबई। अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की यहां नीलाम हुई संपत्ति आखिरकार दिल्ली के वकील अजय श्रीवास्तव को मिल गई है। श्रीवास्तव ने 2001 में दाऊद की दो संपत्तियों को खरीदने का साहस दिखाया था। लेकिन दाऊद की बहन हसीना पारकर ने इनका कब्जा देने से इनकार कर दिया। लगभग 10 साल की कानूनी लड़ाई के बाद कोर्ट ने इन संपत्तियों का कब्जा श्रीवास्तव को देने का फैसला सुनाया है।

श्रीवास्तव ने बताया, ‘आयकर विभाग ने 2001 में दाऊद की 11 बेनामी संपत्तियों की नीलामी के लिए बोली आमंत्रित की थी। पहली बार जब देशभर में से किसी ने भी बोली लगाने का साहस नहीं दिखाया, तो मैंने दूसरी बार आयोजित नीलामी में बोली लगाई। फिर नागपाड़ा स्थित दो संपत्तियों को ढाई लाख रुपए में खरीदा। लेकिन हसीना पारकर ने कब्जा देने से इनकार कर दिया जिसकी वजह से मुझे कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।’ श्रीवास्तव ने जिन दो संपत्तियों को सिर्फ ढाई लाख रुपए में खरीदा था, आज उसकी कीमत बढ़कर पांच करोड़़ रुपए से भी अधिक हो गई है।

तृतीय-विश्वयुद्ध' भड़का सकता है अमेरिका का कदम, दो गुटों में बंट रहा है विश्व!


त्रिपोली. लीबिया में गद्दाफी समर्थकों और विद्रोहियों  के बीच सत्ता हस्तांतरण को लेकर चल रहा सैन्य संघर्ष दुनिया को महाविनाश की और धकेल सकता है। गद्दाफी समर्थक वायु सेना द्वारा प्रदर्शनकारियों पर किए जा रहे हमलों को देखते हुए पश्चिमी देश लीबिया को जल्द से जल्द'नो फ्लाई ज़ोन' घोषित करना चाहते हैं। लेकिन गद्दाफी ने साफ कर दिया है कि यदि इस तरह का कोई प्रयास किया गया तो इसका जवाब हथियार से ही दिया जाएगा। इसी बीच कुछ प्रदर्शनकारियों ने लंदन में गद्दाफी के बेटे के बंगले पर कब्जा कर लिया है। गद्दाफी ने प्रमुख विरोधी नेता अब्दुल जलील  पर 400,000 डॉलर (याने करीब 1.8 करोड़ रुपए) का नाम रखा है। लीबिया में युद्ध तेज हो गया है और पहली बार मुअम्मर गद्दाफी ने तेल के बड़े ठिकानों पर बमबारी की है।

लीबिया को 'नो फ्लाई ज़ोन'घोषित करने का मतलब होगा कि देश के लड़ाकू विमान अगर आसमान में दिखे तो उन्हें मार गिराया जाएगा। अमेरिका और मित्र देश नाटो सेनाओं की मदद से जल्द ही ऐसा कदम उठा सकते हैं।

लेकिन अमेरिका के इस निर्णय का अर्थ गृह- युद्ध से जूझ रहे एक देश में फौजी हस्तक्षेप करना होगा, जो अरब देशों ख़ास कर ईरान को कतई मंज़ूर नहीं है। अंग्रेजी के प्रतिष्ठित अखबार द गार्जियन के अनुसार कर्नल गद्दाफी ने भी साफ़ कर दिया है कि यदि लीबिया पर 'नो फ्लाई ज़ोन' जैसा कोई भी कदम उठाया गया तो उसका जवाब 'हथियार' से ही दिया जाएगा।

गद्दाफी के अनुसार पश्चिमी मुल्कों का असल मकसद लीबिया के तेल संसाधनों पर कब्ज़ा जमाना है। यही नहीं,ईरान ने तो खुलकर धमकी दी है कि यदि नाटो सेनाओं ने लीबिया पर सैन्य कार्रवाई की तो वहां उसके सैनिकों की कब्रगाह बन जाएगी। ऐसे में लीबिया में चल रहा गृह युद्ध किसी बड़े विवाद में तब्दील हो सकता है।

फिर बन रहे हैं दो ध्रुव

लीबिया का संकट धीरे-धीरे विश्व युद्ध में भी बदलने के आसार दिख रहे हैं। लीबिया के मुद्दे पर विश्व अब दो धड़ों में बंट रहा है। अमेरिका के विरोधी देश, धीरे-धीरे या तो गद्दाफी के पक्ष में आ रहे हैं या फिर वे चुप हैं।

वहीं बेलारूस भी लीबिया के समर्थन में आ गया है। दोनों देशों के बीच कई विमानों को उड़ान भरते देखा गया है। यही नहीं हथियारों से लैस कई पोत बेलारूस से लीबिया पहुंच चुके हैं। यह जानकारी हथियार विशेषज्ञ हग ग्रिफिथ ने एक विदेशी पत्रिका में दी। हग स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के लिए भी काम कर चुके हैं। क्यूबा, वेनेजुएला आदि देश भी लीबिया के समर्थन में हैं। लेटिन अमेरिका के इन देशों के अलावा भी कई देशों ने लीबिया को समर्थन दिया है।

किस देश के क्या हित जुड़े हैं

पहले दो विश्व युद्धों की तरह की स्थितियां इस बार भी बन रही हैं। अमेरिका की निगाहें तेल निर्यातक देशों पर हैं। इसी के चलते अमेरिका ने रासायनिक हथियारों की जांच की आड़ में इराक पर हमला कर तानाशाह सद्दाम हुसैन को सजा दी थी। अब मिस्र और लीबिया में भी वह हस्तक्षेप कर रहा है। मध्य-पूर्व के देश अमेरिका के हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करना चाहते हैं। ईरान इस मामले में खुल कर अमेरिका का विरोध कर रहा है। वैसे भी ईरान के अमेरिका के साथ रिश्ते सौहाद्र्रपूर्ण नहीं हैं, दूसरा अगर मध्य-पूर्व में अमेरिका का नियंत्रण और प्रभुत्व स्थापित होता है तो इससे ईरान की नीतियों पर भी असर पड़ेगा।

ऐसे में लीबिया का साथ देना ईरान की मजबूरी है। बेलारूस इसलिए लीबिया का समर्थन कर रहा है, क्योंकि इसमें उसके राजनैतिक और आर्थिक हित हैं। रूस भी अगर साफ तौर पर लीबिया के साथ नहीं दिख रहा है तो भी वह परोक्ष रूप से उसका समर्थन कर रहा है। मध्य-पूर्व में अमेरिका इसलिए विशेष रुचि ले रहा है, क्योंकि अमेरिका की नजर मध्य-पूर्व के अकूत तेल भंडार पर है। ऐसे में विषम होती परिस्थितियां तृतीय विश्व युद्ध का संकेत दे रही हैं।

लीबिया की धमकी से डरा अमेरिका?

लेकिन लग रहा है कि फिलहाल अमेरिका और नाटो सेनाएं लीबिया में हमला करने की धमकी से अब पीछे हटते दिखाई दे रहे हैं।  नाटो प्रमुख ने कहा है कि लीबिया में तत्काल हस्तक्षेप की कोई योजना नहीं है, लेकिन गठबंधन की सेनाएं किसी भी घटनाक्रम पर तुरंत कदम उठाने को तैयार है। इसी बीच एक लीबियाई अधिकारी मिस्र की राजधानी पहुंचा है। आज भी भारतीय नागरिकों का अंतिम जत्था लीबिया से लौटेगा।इसी बीच लीबिया में सरकार समर्थक और विरोधियों के बीच हिंसा जारी है।

अमेरिका ने हालांकि पहले धमकी दी कि वे लीबिया पर सैन्य हमला करने के विकल्प पर भी विचार कर रहे हैं। लेकिन अब इसे टाल दिया गया है।  नाटो प्रमुख अंदर्स फो रासमुसेन ने कहा कि लीबिया में किसी भी तरह की कार्रवाई के लिए संयुक्त राष्ट्र का जनादेश और व्यापक अंतरराष्ट्रीय समर्थन जरूरी है। ब्रिटेन के स्काई न्यूज से बातचीत में उन्होंने कहा, नाटो लीबिया में कोई हस्तक्षेप नहीं करने जा रहा है, लेकिन हमने अपनी सेनाओं से कहा है कि किसी भी तरह के हालात से निपटने के लिए वे अपनी योजना तैयार रखें। उन्होंने कहा कि इस बारे में क्षेत्र में बहुत सी बातों का ख्याल रखना होगा क्योंकि इसे विदेशी सैन्य हस्तक्षेप समझा जा सकता है। इसलिए ऐसे किसी भी कदम के लिए व्यापक अंतरराष्ट्रीय समर्थन बेहद जरूरी है।

अमेरिका ने कहा नो फ्लाइंग जोन का फैसला संयुक्त राष्ट्र को लेना है

अमेरिकी विदेश हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि नो फ्लाई जोन लागू करने के बारे में संयुक्त राष्ट्र को फैसला लेना है। नाटो प्रमुख भी इस बात से सहमत हैं. उन्होंने कहा,  नो फ्लाई जोन स्थापित करना थोड़ा सा पेचीदा है। इसके लिए भी संयुक्त राष्ट्र के जनादेश की जरूरत होगी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का मौजूदा प्रस्ताव सैन्य बलों के इस्तेमाल की इजाजत नहीं देता। ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने भी इसी तरह की बात कही है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन नो फ्लाई जोन सहित लीबिया के खिलाफ उठाए जाने वाले संभावित कदमों पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन चाहता है।

तेल में लगेगी आग

लीबिया के संकट के बाद विश्व पर तेल की कमी का खतरा भी मंडरा रहा है। विश्व के सबसे बड़े तेल उत्पादक देश सऊदी अरब में तेल कंपनियों के शेयर एकदम गिर गए हैं। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अधिकारी फातिह बैरोल ने कहा कि सस्ते तेल का समय अब खत्म हो गया है। कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात में भी तेल कंपनियों के शेयर के दाम नीचे आ गए हैं। लीबिया से तेल का निर्यात रुका हुआ है और अब तेल उत्पादक दूसरे देश भी कीमतें बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।

लंदन में गद्दाफी के बंगले पर कब्जा

लंदन में कुछ प्रदर्शनकारियों ने उत्तरी लंदन के महल पर कब्जा कर लिया। यह महल गद्दाफी के बेटे सैफ का है। इन प्रदर्शनकारियों के नेता ने कहा कि उन्हें ब्रिटेन की सरकार पर यकीन नहीं है। उन्होंने कहा कि गद्दाफी की पूरी संपत्ति लीबियाई निवासियों को ही मिलनी चाहिए। इस बंगले में स्विमिंग पूल, स्पा और सिनेमा घर भी हैं।

विपक्षी नेता पर इनाम

लीबिया में युद्ध काफी तेज हो गया है। पहली बार गद्दाफी ने देश के प्रमुख तेल ठिकाने पर बमबारी की है। इसके अलावा गद्दाफी ने मुख्य विरोधी नेता की गिरफ्तारी के लिए नगद इनाम की भी घोषणा की है।


Tuesday, March 8, 2011

पसीना है सफलता का ईधन

नई दिल्ली। जीवन में हम जो भी करते हैं, उसमें समस्याएं एवं व्यवधान आते ही हैं। हर कोई जीवन में परेशानियों से दो-चार होता है। यह परिवार, मित्रों, पैसा काम, विवाद या बीमारी से जु़डा हो सकता है। ऎसी बहुत सारी चीजों को जो हम चाहते हैं, मगर इससे पहले कि हम उसे हासिल कर सकें हमें कई समस्याओं से जूझना प़डता है। दुनिया में सबसे आसान है यह कहना कि "मैं यह नहीं कर सकता" और उस काम को छो़ड देना। ऎसा करने की बजाय हम कुछ समय का विराम लेकर ये क्यों नहीं सोचते कि कैसे हम राह की मुश्किलों पर विजय प्राप्त करें।
यदि हम यह मान लें कि ये मुश्किलें इस सफर का विराम है तो मुश्किल से मुश्किल परेशानी का हल निकल आएगा। इसको छो़ड देना या परेशानी पर फतह हासिल करना ये दोनों विकल्प हम सबों के अंदर होते हैं। किसी भी मुश्किल पर विजय हासिल करने के लिए पहला कदम है कि आप यह विश्वास करें कि आप ऎसा कर सकते हैं। हमारे जीवन में हर चीज की शुरूआत विकल्प के साथ होनी है।
जीवन में सफलता इस बात में निहित है कि आप अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ एवं सतत प्रयासरत हैं। हम में से कई लोग ऎसा सोचते हैं कि हम जो चाहते हैं जीवन हमें नहीं दे रहा है या सफलताएं भाग्य की देन हैं। मगर उस प्रयास, मेहनत एवं दर्द की सराहना नहीं करते हैं जो लक्ष्य प्राçप्त की राह में आते हैं। सफल व्यक्ति सफलता भाग्य से नहीं, वरन् अपनी लगन से हासिल करता है। याद रहे कि भगवान हर पक्षी और जानवर को खाना देता है, पर उनके मुंह में नहीं डालता है। इसके लिए उन्हें मेहनत करनी प़डती है। कोई भाग्य तब तक काम नहीं करता जब आप स्वयं कुछ कर्म न करें। थो़डा पाने के लिए कभी-कभी ढेर सारे अच्छे काम भी खोने प़डते हैं। आप जितनी मेहनत करेंगे, भाग्य उतना ही आपका साथ देगा। आप जो चाहते हैं, उसके लिए यदि अपना 100 प्रतिशत देते हैं तो उसे प्राप्त करेंगे। हम अवसर को समझ नहीं पाते, क्योंकि वह क़डी मेहनत मांगता है। यह याद रखने योग्य है कि कोई भी व्यक्ति क़डी मेहनत के पसीने में डूबा तो लेकिन मरा नहीं है। कर्म करने से ही सफलता मिलती है और केवल अंग्रेजी शब्दकोश में ही सफलता कर्म से पहले आती है। दुनिया के कई मशहूर लेखकों ने स्वीकारा है कि शुरूआती दिनों में उनके 10 में से 9 काम को नामंजूर कर दिया जाता था। केवल दसवां काम ही स्वीकृत होता था। उनकी सफलता का राज यह है कि उन्होंने तन-मन-धन से 10 गुनी ज्यादा मेहनत की। एक पुरानी कहावत है कि उतना ही खाओ जितना पचा सको। मगर सफलता का सूत्र है कि आप जितना कर सकते हैं उससे भी ज्यादा करें और काम को खत्म करें। हम बहुत सारे दर्दो एवं समस्याओं को लेकर ऎसे कई दर्दो एवं समस्याओं से बच सकते हैं। यदि आप ऎसा महसूस करते हैं कि आप बर्बाद हो गए हैं या टूट गए हैं तो इस बात की प़डताल करनी चाहिए कि आपके प्रयास का स्तर क्या था। मेधावी होना अपने लक्ष्य प्राçप्त के लिए असीमित दर्द झेलने से ज्यादा कुछ भी नहीं है। किसी भी लक्ष्य की प्राçप्त के लिए जिस कठिन परिश्रम की आवश्यकता है, उसके लिए बाहों को घुमाने की जरूरत है, न कि नाक सिको़डने की। कई लोग दावा करते हैं कि वे दो चीजें एक साथ कर सकते हैं, मगर सफलता प्राçप्त के लिए आवश्यक है कि आप एक बार में एक ही काम करें। वास्तव में पसीना सफलता का ईधन है। मार्टिन लूथर किंग ने एक बार कहा था, "यदि किसी व्यक्ति को स़डक साफ करने वाला कहा जाता है तो उसे अपना काम उसी प्रकार करना चाहिए, जैसे माइकल एंजेला चित्रकारी करते थे, बीथओवन धुनें तैयार करते थे या शेक्सपीयर कविता लिखा करते थे। उसे अपना काम इस तरह करना चाहिए कि हर कोई उसके काम की तारीफ में कहे कि यहां एक स़डक साफ करने वाला राजा है जिसने यह काम किया।"

विफलताएं दिखाती हैं सफलता की राह

नई दिल्ली। एक पुरानी कहानी है, एक कौआ जब मोरों को जंगल में नाचते हुए देखता था, तब उसके मन में ख्याल आता था, ""भगवान ने मोरों को कितना सुंदर रूप दिया है! यदि मैं भी ऎसा होता, तो कितना मजा आता!""
कुछ दिनों बाद कौए ने जंगल में मोरों के बहुत से पंख बिखरे देखे। वह खुश होकर बोला, ""भगवान! ब़डी कृपा की आपने, जो मेरी पुकार सुन ली। मैं भी इन पंखों को लगाकर मोर बन जाता हूं।"" उसके बाद कौए ने मोरों के पंख अपने शरीर पर लगा लिए। फिर वह अपना नया रूप देखकर बोला, ""अब मैं मोरों से भी सुंदर हो गया हूं। इसलिए उन्हीं के पास जाकर मस्ती करता हूं।"" वह ब़डे अभियान से मोरों के पास गया। उसे देखते ही मोरों ने ठहाका लगाया, फिर एक मोर ने कहा, ""जरा देखो तो इस बेवकूफ कौए को। यह हमारे फेंके हुए पंख लगाकर मोर बनने चला है। मारो इस बदमाश को चोंचों और पंजों से जोरदार ठोकरें।"" सुनते ही सभी मोर कौए पर टूट प़डे और उसे अधमरा कर दिया। कौआ जान बचाकर कौओं के पास आया और मोरों की शिकायत करने लगा। तब एक बुजुर्ग कौआ बोला, ""सुनते हो इस बेवकूफ की बातें! यह हमारा मजाक उ़डाता था और मोर बनने के लिए उतावला रहता था। इसे इतना भी ज्ञान नहीं कि जो प्राणी अपनी जाति से संतुष्ट नहीं रहता, वह हर जगह अपमान पाता है। आज यह मोरों से पिटने के बाद हमसे मिलने आया है। लगाओं इस धोखेबाज को कसकर मार।"" इतना सुनते ही सभी कौओं ने मिलकर उसकी अच्छी मरम्मत की और कहा, ""अपनी क्षमता को पहचान, वर्ना तू कहीं का नहीं रहेगा।""
इसलिए अपनी क्षमता का आकलन कीजिए और नीचे लिखे गुरूमंत्रों का उच्चाारण कीजिए :
* जीवन की तमाम विफलताएं आपको आपकी वास्तविक योग्यता और क्षमता का आभास कराती हैं, फिर वही विफलताएं आपको सफलता का रास्ता दिखाती हैं।
* प्रभावशाली नेतृत्व क्षमता हासिल करने के लिए अपने प्रतिद्वंदियों के दिमाग में चलने वाली बातों का पता लगाइए ताकि आपको पता चल सके कि उनसे बेहतर आप क्या कर सकते हैंक्
* योग्यता, आत्मविश्वास, साहस, सार्थक संवाद, क्षमता, कठिन परिश्रम और काम के प्रति समर्पण सफलता का सबसे प्रचलित फार्मूला है, जिसके द्वारा दुनिया के करो़डों लोग अमीर बन चुके हैं।
* आपके जीवन की दिशा आपकी इच्छाओं और आवश्यकताओं से तय होती है, क्योंकि कार्य करने की क्षमता आपके संसाधनों पर निर्भर करती है।
* जब आप अपनी क्षमता और रूचि के अनुरूप करियर चुनते हैं, तब प्रतिस्पर्धा आपका मार्गदर्शन करने लगती है।
* कितना भी छोटा बिजनेस क्यों न हो, लेकिन प्रतियोगियों का सही चुनाव सफलता में अहम भूमिका निभाता है। ऎसे में जरूरी है कि आप अपनी क्षमताएं जानें और फिर यह निश्चित करें कि किस यू.एस.पी. के दम पर आप उस क्षेत्र में आना चाहते हैंक्
* बुद्धिजीवी लोग विवेक से सीखते हैं, साधारण लोग अनुभव से सीखते हैं। लेकिन मूर्ख लोग अपनी क्षमताओं से सीखते हैं।
* आपके जीवन की दिशा आपकी इच्छाओं और आवश्यकताओं से तय होती है, क्योंकि कार्य करने की क्षमता आपके संसाधनों पर निर्भर करती है।
* आपको वही दिखायी देता है, जो आप देखना चाहते हैं और वही सुनायी देता है, जो आप सुनना चाहते हैं। क्योंकि आपकी सुनने और देखने की क्षमता विस्तार के लिए तैयार नहीं होती।
* यदि आप अच्छा सा पोर्टफोलियो नहीं बनवाएंगे और निर्माताओं के चक्कर नहीं काटेंगे, तो सिल्वेस्टर स्टेलॉन कैसे बनेंगे। * देने वाले ने कभी कमी नहीं की, अब यह मुकद्दर की बात है कि आपको क्या मिला। प्रकृति ने सबको बराबर बुद्धि से नवाजा है, अब यह आप पर निर्भर करता है कि आपने उसका कितना उपयोग किया।
* आप न तो कालिदास हो सकते हैं, और न ही मोजार्ट। आप आप ही हैं, क्योंकि आप में जन्म से ही अपनी विशिष्ट प्रतिभा है और आप जैसे हैं वैसा और कोई नहीं है।

कल्पनाशीलता, सफलता की पहली सीढ़ी

नई दिल्ली। एक बार गांव वालों ने अपने मुखिया से पूछा, ""इस बार ठंड कैसी प़डेगी। जरा बताओ, ताकि हम उस हिसाब से जलाने के लिए लकडियां इक्कठी कर सकें।"" लेकिन मुखिया नई पीढ़ी का था और कुछ दिनों पहले वह शहर से पढ़कर आया था। इसलिए उसे मौसम का अनुमान लगाने के पारम्परिक तरीके पता नहीं थे।
चूंकि वह मुखिया था, उसे अपना अज्ञान जाहिर करने में ब़डी शर्म आई। फिर उसने एक पल के लिए सोचा और कह दिया, ""इस बार ठंड प़डेगी।""
मुखिया की बात मानकर गांव वालों ने लक़डी जुटानी शुरू कर दी। उसने गोलमोल जवाब तो दे दिया था, पर वह अपने लोगों को सही जानाकरी भी देना चाहता था। इसलिए उसने पास के शहर में स्थित मौसम विभाग से संपर्क किया, फिर पूछा, ""इस बार ठंड के बारे में क्या अनुमान है!""
मौसम विभाग के क्लर्क ने कहा,""अच्छी ठंड पडने के संभावना है।"" मुखिया ने वही बात अपने गांव वालों को फिर बता दी। तब वे और तेजी से लकडियां इक्कठी करने लगे।
लेकिन कुछ दिनों बाद मुखिया ने मौसम के पूर्वानुमान की पुष्टि करनी चाही। उसने शहर जाकर मौसम विभाग से पूछा, ""इस बार सर्दी का मौसम कैसा रहेगा! ""
विभाग ने उत्तर दिया, ""इस बार ब़डी तेज सर्दी प़डने वाली है।"" मुखिया ने आसमान को निहारते हुए कहा, ""सर्दी का मौसम करीब है, लेकिन ठंड प़डने के आसार नही दिखाई प़ड रहे, फिर आप कैसे बोल रहे हैं कि भंयकर ठंड प़डेगी! ""
मौसम विभाग के क्लर्क ने कहा, ""यह मेरी कल्पना है, क्योंकि हम लगातार देख रहे हैं कि इस बार आपके गांव में रहने वाले लोग पागलों की तरह लकडियां इक्कठी कर रहे हैं।""
इसलिए गलत कल्पना मत कीजिए और नीचे लिखे गुरूमंत्रों पर ध्यान दीजिए :
* कल्पनाशीलता सफलता की पहली सीढ़ी है, क्योंकि जोखिम से पहले का गणित बताता है कि आप असफल होंगे, परंतु जोखिम के बाद का समय बताता है कि आप सफल होंगे।
* जब आप किसी चीज को पाने की कल्पना करते हैं, तब आपके अंदर उस चीज को पाने के विचार और भावनाएं उत्पन्न होने लगती हैं। फिर आकर्षण का नियम उस चीज को सच करके आपके पास भेज देता है।
* कल्पना आपको उस दुनिया में ले जाती है जो पहले थी ही नही। परन्तु साकार होते ही वह कल्पना एक नई दुनिया बन जाती है।
* कल्पना, इच्छाशक्ति, भावना, तर्क, अंतरात्मा, स्मरण शक्ति और अवचेतना हमेशा कुछ नया करने को उकसाते हैं, परंतु कुछ लोग उसपर ध्यान नहीं देते। लेकिन जो लोग उनके अनुसार चलते हैं वे सफल हो जाते हैं।
* कल्पना कीजिए कि आपको वैष्णों देवी की चढ़ाई करनी है। लेकिन आपको ऎसी राह नहीं दिख रही, जिसका अनुसरण करके आप पर्वत पर चढ़ते चले जाएं। ऎसी स्थिति में आप अपने सिर को चोटी की ओर उठाएं और तबतक चलते रहें, जबतक कि आप मंदिर के शिखर को न छू लें।
* जब आप अपनी अनुभूतिओं के अनुसार काम करते हैं, तब आपकी एक सीमा होती है। लेकिन जब आप अपनी कल्पना के अनुसार काम करते हैं तब आपकी सीमा अनंत होती है।
* आकर्षण का नियम उन शक्तिशाली तरंगों को ग्रहण करता है, जिसकी आप कल्पना करते हैं। फिर उस कल्पना को साकार करके आपके पास भेज देता है।
* आप कैसे सफलता पा सकते हैं, इसका ब्लूप्रिंट आपके मस्तिष्क की एक कोशिका में छिपा है। लेकिन उसको निकालने के लिए आपको कल्पना रूपी प्रिंटर का इस्तेमाल करना होगा।
* माया सभ्यता के कैलेंडर के हिसाब से जो लोग कल्पना कर रहे हैं कि 2012 में पूरी दुनिया खत्म हो जाएगी, उनको मैं यह बताना चाहता हूं कि दुनिया खत्म नहीं होगी, बल्कि दुनिया में अमीरों की संख्या दोगुनी हो जाएगी।

कामयाबी के लिए चाहिए हिम्मत और जोश

नई दिल्ली। बात उस समय की है, जब हेनरी फोर्ड दुनिया को सबसे सस्ती कार "मॉडल-टी" बनाने की सोच रहे थे। तब कारें तो बहुत बनती थीं, लेकिन सिर्फ राजा-महाराजाओं के लिए ही बनती थीं। हेनरी फोर्ड ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे और 14 साल की उम्र के बाद कभी स्कूल नहीं गए थे, उसके बाद भी वह सस्ती गाडियां बनाना चाहते थे।
पहले उन्होंने इंजन की ड्राइंग बनाई, फिर उस जमाने के सबसे अच्छे इंजीनियर के पास गए और उससे अपने लिए इंजन बनाने के लिए कहा। इंजीनियर वी-8 इंजन बनाने के लिए राजी हो गया। फिर कुछ महीनों बाद हेनरी फोर्ड ने इंजीनियर से काम में हो रही प्रगति के बारे में पूछा, तो जवाब मिला कि वी-8 इंजन बनाना असंभव है। इंजीनियर को हिम्मत हारते देख फोर्ड ने उसका हौसला बढ़ाया और खुद उसके साथ काम में लग गए। तब इंजीनियर को हेनरी फोर्ड से प्रेरणा मिली और इंजन वी-8 का डिजाइन तैयार हो गया।
इसलिए प्रेरणा लेते रहिए और इन गुरूमंत्रों को दिल की गहराइयों में उतार लीजिए :
*पे्ररणा से मिलती है कामयाबी, क्योंकि जब आप किसी व्यक्ति से प्रेरित होते हैं, तब आपकी सोई हुई सारी शक्तियां जाग जाती हैं। *आपने कभी सोचा है कि आपका प्रतिद्वंद्वी आपसे ज्यादा सफल व्यापारी क्यों हैं! क्योंकि उसने अपनी स्वाभाविक प्रवृत्ति और अंत: प्रेरणा को पैना किया हुआ है।
*प्रेरणा शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी के "मोटिव" शब्द से हुई है और मोटिव का अर्थ है कारण, लेकिन अमीर शब्द की उत्पत्ति के पीछे कोई कारण नहीं है।
*हिम्मत और जोश से मिलती है सफलता, क्योंकि हिम्मत आपको आगे बढ़ाती है और जोश आपको ज्यादा काम करने की प्रेरणा देता है। *किस्मत में लिखी हर मुश्किल टल जाती है, यदि हो बुलंद हौसले तो मंजिल मिल ही जाती है। सिर उठाकर यदि आसमान को देखोगे बार-बार, तो गगन को छूने की प्रेरणा मिल ही जाती है।
*गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि उसके अंदर सफलता पाने का विज्ञान छिपा हुआ है, क्योंकि वह आपको संकल्प लेने का सिद्धांत सिखाती है, विरोधियों से निपटने का तरीका बताती है और कर्म करते रहने की प्रेरणा देती है।

दृढ़ संकल्प व परिश्रम में छिपी होती है सफलता

नई दिल्ली। यदि आप अपने क्षेत्र में नेता बनना चाहते हैं तो आपको दीर्घकालीन मानसिक चित्रण के साथ-साथ निर्णय क्षमता भी बढ़ानी होगी। यदि कोई संस्था जो केवल अपने व्यवसाय पर ही केंद्रित रहती है और व्यक्ति के विकास पर ध्यान नहीं देती है तो उसे गंभीर समस्या का सामना करना प़ड सकता है।
व्यक्तियों का विकास भी व्यवसाय के विकास की तरह बहुत मायने रखता है। कोई भी अनुभव के साथ जन्म नहीं लेता। काम करने से अनुभव मिलता है अगर कुछ गलत हो जाए, इच्छित फल न मिल पाए तो उसके लिए व्यक्तियों से पीछा नहीं छु़डाना चाहिए। इसके विपरीत उन्हें प्रक्रिया के बारे में पूरी तरह समझाना चाहिए, ताकि बेहतर नतीजों की अपेक्षा की जा सके। भारत सरकार में विश्वविद्यालयों से निकले छात्र-छात्राओं की भर्ती भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) या विदेश सेवा आदि में की जाती है। इन लोगों की निश्चित उद्देश्यों की प्राçप्त के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। मैंने 1961 में आईपीएस में दाखिला लिया। 16 महीने के क़डे प्रशिक्षण के बाद मुझे एक साल का अलग-अलग पुलिस श्रेणियों में काम करना प़डा।
फिर मुझे कर्नाटक राज्य के बीजापुर जिले में पुलिस सब डिवीजन का कार्यभार दिया गया। इसी तरह मुझे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक पद तक पहुंचने में 35 साल लग गए। दूसरी ओर, बहुत कम निजी संस्थान अपने प्रबंधकों का हुनर निखारने का प्रयत्न करते हैं। किसी भी व्यवसाय को चलाने के लिए जरूरी है कि वहां काम कर रहे लोगों की क्षमता व हुनर को निखारने का प्रयास भी किया जाए। ब़डे अफसोस से कहना प़डता है कि लोगों के प्रशिक्षण व विकास के लिए बहुत कम निवेश किया जाता है। एक बार अब्राहम लिंकन ने कहा था, ""मुझे पे़ड काटने के लिए छह घंटे दो, मैं पहले चार घंटे तो कुल्ह़ाडी तेज करने में ही लगा दूंगा।"" किसी भी प्रबंधक का कौशल व हुनर निखारने से उसका और संस्था, दोनों का भला होता है। यह कोई ऎसा काम नहीं है कि जिसे आप कभी-कभी करें और भूल जाएं। यह काम तो लगातार करना प़डता है।
कोई कौशल होने के बावजूद आपको लगातार इसका अभ्यास बनाए रखना चाहिए। मैंने एक गायक से उसकी सफलता का राज पूछा तो उसने बताया कि वह अपना सारा समय अभ्यास में लगा देता है। मेरा एक मित्र कॉलेज में ब़डा अच्छा वक्ता था। उसने मुझे बताया कि वह मंच पर आने से पहले घंटों अभ्यास करता था और पूरी संतुष्टि मिलने के बाद ही मंच पर आता था। आत्मविश्वास एक कभी न समाप्त होने वाली प्रक्रिया है। हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में स्वयं को बेहतर बनाना चाहता है। इसके लिए उसे लगातार कोशिश करते रहना चाहिए। एक योग्य प्रबंधक अपनी टीम को इतना सक्षम बना देता है कि वह आसानी से संस्था से जु़डे उद्देश्यों की पूर्ति कर सके। आदर्श तौर पर साल भर में कंपनी के 25 प्रतिशत लोग किसी भी समय प्रशिक्षण पर होने चाहिए, ताकि उनके हुनर, कौशल व जानकारी में वृद्धि हो और वे नई तकनीकी जानकारियां भी लें। जबकि अधिकतर संस्थानों से इसे समय व धन की हानि माना जाता है। यहां तक कि सरकार जो कि बहुत ब़डी नियोक्ता है, प्रशिक्षण केंद्रों की नियुक्ति के बारे में उदासीन ही रहती है।
मेरा आईपीएस में एक मित्र था। उसने मुझे बताया कि वह साल में कम से कम तीन माह प्रशिक्षण के लिए जाता है और इस तरह उसने पुलिस अधिकारियों के लिए बने सभी प्रशिक्षण ले लिए हैं। उसने स्वयं बताया कि वह हर काम को सही तरीके से करना पसंद करता है, इसलिए सबको उससे असुविधा होती है। उसे रास्ते से हटाने के लिए नौकरी से निकालना तो मुश्किल होता था इसलिए उसे प्रशिक्षण के लिए भेज दिया जाता था। ऎसा गैर-सरकारी संस्थानों में नहीं होता, जहां केवल बेहतर प्रदर्शन करने वाले ही बच पाते हैं। वे लोग मानव संसाधन विकास के नाम पर कोई खर्चा नहीं करते। सच है कि छोटी संस्थाएं प्रशिक्षण पर ज्यादा खर्च नहीं कर सकतीं, लेकिन वे दूसरी संस्थाओं द्वारा चलाए गए कार्यक्रमों से लाभ उठा सकते हैं। सरकार, सरकारी व निजी संस्थानों में यद्यपि काफी अंतर होता है। कुछ काम ऎसे हैं, जैसे नियम व कानून, पुलिस, न्याय व्यवस्था, पुल व यातायात आदि खर्चीले होने के कारण सरकार को ही करने चाहिए। सरकार के दिमाग में हमेशा लाभ की बात नहीं होती जबकि निजी योजनाएं इसे अपना अहम मुद्दा मानती हैं। दोनों को ही अपने उद्देश्य पाने के लिए यद्यपि श्रेष्ठ संगठनात्मक बल की आवश्यकता होती है। मेहनती, ईमानदार व बुद्धिमान व्यक्ति किसी भी संस्था की सफलता का आधार होते हैं जो कि किसी भी टीम की योग्यता बढ़ाने के लिए जरूरी है। कुछ लोग ऎसे भी होते हैं जो अपने आपमें सुधार लाने की इच्छा-शक्ति ही खो बैठते हैं। संस्था को ऎसे व्यक्तियों के चुनाव में सावधानी बरतनी चाहिए। सीबीआई निदेशक पद पर मुझे एक ऎसा सेक्रेटरी दिया गया जो न तो ठीक से डिक्टेशन ले पाता था और न ही कंप्यूटर चलाना जानता था।
मैंने उससे पूछा तो बोला कि वह छह महीने में ही सेवानिवृत्त होने वाला है, इसलिए उसे कोई नया हुनर सीखने की इच्छा नहीं है। मैंने उसे बताया कि मैं भी उसके कुछ माह बाद सेवानिवृत्त होने वाला हूं। यदि मैं कंप्यूटर सीखकर उसका इस्तेमाल कर सकता हूं तो वह क्यों नहीं कर सकताक् अपना हुनर बढ़ाने की बजाय उसने सेवानिवृत्ति की अवधि तक छुियां ले लीं और घर बैठ गया। मुझे एहसास हुआ कि मैंने एक अनचाहे कर्मचारी से छुटकारा पा लिया। सरकारी नौकरियों में ऎसे कई लोग होते हैं जो कुछ नहीं करते और कुछ सीखना ही नहीं चाहते, उनकी कहीं जरूरत नहीं होती और वे मुफ्त का वेतन पाते हैं। सारी सफलता दृढ़ संकल्प व परिश्रम में छिपी है। हमें ही अपने कामों का उत्तरदायित्व लेना प़डता है। यदि आपने महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपनी जानकारी बढ़ाई तो यह आपके ही काम आएगी। यदि आप जानते हैं कि आप क्या और कैसे कर रहे हैं तो आप सक्षम हो सकते हैं। किसी भी व्यक्ति या संस्था के लिए काम का रचनात्मक माहौल होना जरूरी है। जब लोगों की रचनात्मकता को प्रपत्र मिलता है तो उनकी योग्यता देखते ही बनती है और पूरी टीम संस्था के लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए एकजुट हो जाती है। तब ऎसी संस्था से सफलता बहुत दूर नहीं होती।
(लेखक सीबीआई के पूर्व निदेशक हैं। डायमंड पॉकेट बुक्स प्रा. लि., नई दिल्ली से प्रकाशित उनकी पुस्तक "सफलता का जादू" से साभार)

हम सभी अपने आप में हैं विलक्षण

नई दिल्ली। हालात चाहे जो भी हों, अपनी मानसिकता व नजरिया को प्रसन्न और शांत बनाए रखें। स़डक पर ट्रैफिक न मिले, अच्छी धूप निकल जाए या आपको अच्छे प़डोसी मिल जाएं तो ऎसी छोटी-छोटी बातों के लिए भी आभार व्यक्त करें।
अपने आसपास नजर दौ़डाएं तो आपको पता चलेगा कि ईश्वर ने आपको कैसी-कैसी और कितनी सुविधाएं दी हैं। टी.वी., घरेलू उपकरण, बिजली, पानी आदि की आज से पचास वर्ष पूर्व तक कितनी किल्लत थी। मुझे याद है कि जब मैंने 1980 में वीसीडी पर पहली फिल्म देखी तो मुझे यह किसी अजूबे से कम नहीं लगा था। ऎसा लगता था कि हमें घर में ही थिएटर की सुविधा मिल गई। मोबाइल फोन को ही लें, यह तो आम आदमी की पहुंच से कहीं ऊपर था। कार, रेल, वायुयान, स्कूटर आदि ने हमारे जीवन की गुणवत्ता पर गहरा असर डाला है। प्रतिदिन पांच ऎसी वस्तुओं की सूची बनाएं, जिनके लिए आप धन्यवाद देना चाहते हों। दूसरों की तारीफ करें, ताकि वह बेहतर तरीके से काम कर पाए।
मैंने नोट किया कि जब मैं अपने सेक्रेटरी की तारीफ करता हूं तो वह न केवल खुश होता है, बल्कि उसकी कार्यक्षमता भी दुगनी हो जाती है। मैं स्टाफ की गलतियां निकालते समय किसी तरह निजी रूप से दोषारोपण नहीं करता, क्योंकि मैं जानता हूं नकारात्मकता आपको लोगों से दूर ले जाती है। इस संसार में रोमांचक यात्रा का भरपूर आनंद लें और याद रखें कि असफलता ही सफलता तक पहुंचने की सबसे पहली सीढ़ी है। असफल हुए बिना आप सफल होने का तरीका सीख ही नहीं सकते। किसी व्यक्ति के पास यदि साइकिल हो तो मोटरसाइकिल खरीदना उसके लिए ब़डी बात हो सकती है। अपने जीवन में कुछ ऎसे हुनर भी सीखें, जो आपको लगता है कि आप कभी नहीं कर सकते। आपको ज्यादा ऊंचे स्तर पर रचनात्मक होने की आवश्यकता नहीं है। जीवन में सफलता पाने के लिए आपको कुछ न कुछ करना ही होगा। आप पूछेंगे कि कौन से काम, कब, कहां और कैसे किए जाएंक् इन प्रश्नों का उत्तर जानना कठिन नहीं है।
उत्तर इसी बात में छिपा है कि आप जीवन में क्या करना चाहते हैं और किस तरह का जीवन जीना चाहते हैं, नए-नए विचारों पर काम करें, नए-नए तरीके आजमाएं और यह जानने की कोशिश करें कि आपके लिए क्या बेहतर हो सकता हैक् हमें अहसास होना चाहिए कि हम सभी अपने आप में विलक्षण हैं, इसलिए हम सब का उद्देश्य केवल इतना होना चाहिए कि हम बढि़या से बढि़या और बेहतर से बेहतर प्रदर्शन करें।
(लेखक सीबीआई के पूर्व निदेशक हैं। डायमंड पॉकेट बुक्स प्रा. लि., नई दिल्ली से प्रकाशित उनकी पुस्तक "सफलता का जादू" से साभार)

crual deed in New Delhi


A large number of women protest  demanding arrest of the killer of a 21-year-old girl, who was shot dead outside her college in the national capitalof India On International Women's Day.....
Why crime nt stop against women ?

गद्दाफी को देश छोड़ने 72 घंटे का समय, ईरान दे सकता है शरण


त्रिपोली. लीबिया के तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी को विद्रोहियों ने देश छोड़ने के लिए 72 घंटे का समय दिया है। माना जा रहा है कि गद्दाफी गद्दी छोड़ने के लिए तैयार हो गए हैं लेकिन उन्होंने कुछ शर्तें रखी हैं। गद्दाफी के ईरान, वेनेजुएला, क्यूबा जैसे देशों से बेहतर संबंध हैं और यदि वे देश छोड़ते हैं तो उनके इन देशों में शरण लेने की संभावना है।

कहां शरण ले सकते हैं गद्दाफी

हालांकि विश्व के अधिकांश देश तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के पक्ष में हैं, ईरान और लेटिन अमेरिका के कम से कम तीन देश, वेनेजुएला, निकारागुआ और क्यूबा उन्हें देस छोड़ने की स्थिति में शरण दे सकते हैं। मुअम्मर गद्दाफी का अमेरिका विरोधी देशों से बेहतर तालमेल है। हाल ही में ईरान ने धमकी दी है कि यदि पश्चिमी देशों ने लीबिया पर सैन्य कार्रवाई की तो उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे। ईरान के राष्ट्रपति मोहम्मद अहमदनेजाद के अमेरिका से सामान्य संबंध नहीं हैं। उन्होंने धमकी दी कि यदि लीबिया पर हमला हुआ तो वहां अमेरिकी सैनिकों की कब्रगाह बना दी जाएगी।

लीबिया की सरकार ने लेटिन अमेरिका के कुछ देशों से काफी गहरे आर्थिक और व्यापारिक संबंध विकसित किए हैं। गद्दाफी के इन देशों के प्रमुखों से व्यक्तिगत संबंध हैं। लेटिन अमेरिका के ही कुछ देश गद्दाफी के विरोध में हैं, लेकिन करीब तीन देशों से उनके व्यक्तिगत संबंध हैं। पेरू लीबिया के विरोध में है। ब्राजील ने लीबिया के मामले में चुप्पी साध रखी है। ब्राजील के भी लीबिया से गहरे व्यापारिक संबंध हैं।

निकारागुआ के नेता डेनियल ओरटेगा ने सबसे पहले गद्दाफी के पक्ष में आवाज उठाई। माना जाता है कि लीबिया ने निकारागुआ और क्यूबा को बड़े पैमाने पर ब्याजमुक्त ऋण दिया है। वेनेजुएला के राष्ट्रपति हुगो चवेज ने लीबिया से पिछले कुछ सालों में 150 से ज्यादा समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इन दोनों नेताओं का व्यक्तिगत रूप से भी बेहतर तालमेल है। वेनेजुएला के राष्ट्रपति हुगो चवेज ने हाल ही में लीबिया में मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया था, जिसे जनता ने ठुकरा दिया।

गद्दाफी को 72 घंटे का समय
जनता का नेतृत्व कर रही नेशनल लीबियन काउंसिल के नेता अब्देल जलील ने कहा है कि यदि गद्दाफी नहीं चाहते कि उनके खिलाफ युद्ध अपराध के मामले चलाए जाएं, तो वे 72 घंटे में देश छोड़ दें। उन्होंने कहा कि यदि गद्दाफी 72 घंटों में देश छोड़ दें, जनता पर बमबारी बंद करें तो जनता भी उन पर युद्ध अपराध चलाने के लिए दबाव नहीं डालेगी। जनता के कुछ नेताओं ने कहा है कि गद्दाफी ने उनके पास सूचना भेजी है कि वे परिवार सहित देश छोड़ने को तैयार हैं, लेकिन उनकी कुछ शर्तें हैं। हालांकि सरकार ने इन दावों का खंडन किया है। 

इसी बीच त्रिपोली में सरकार विरोधी और समर्थकों में युद्ध काफी तेज हो गया है। गद्दाफी समर्थक सेनाओं ने जनता के कब्जे वाले शहरों पर नियंत्रण करने के लिए दो दिन पहले नए सिरे से हमले शुरु किए, जो अभी भी जारी हैं। जनता भी पूर्व और पश्चिमी क्षेत्रों में अपने गढ़ बचाने का प्रयास कर रही है। गद्दाफी समर्थकों ने लीबिया के पश्चिमी क्षेत्र में नए सिरे से बड़ा हमला बोला है।

गद्दाफी देश छोड़ने को राजी?
एक टीवी चैनल के अनुसार मुअम्मर गद्दाफी ने देश छोड़ने का प्रस्ताव दिया है। गद्दाफी के अनुसार इसके लिए लीबियाई संसद की बैठक बुलाई जाए, जिसमें वे इस संबंध में घोषणा करेंगे। इसके अलावा उन पर युद्ध अपराध संबंधी कोई मुकदमा नहीं चलाया जाए और बड़ी रकम लेकर देश के बाहर जाने दिया जाए। हालांकि विद्रोही काउंसिल ने प्रस्ताव को नकार दिया है और कहा है कि यह गद्दाफी के खिलाफ चल रहे आंदोलन में मारे गए लोगों का अपमान होगा। गद्दाफी ने पूर्व प्रधानमंत्री जदल्लाह ताल्ही को ये प्रस्ताव लेकर काउंसिल के पास भेजा था।

ऐसी तस्वीरें देख उड़ गई कितनों की नींद!

एक पुरुष मैग्जीन के कवर पेज पर ब्लैक बिकनी में अपनी तस्वीर देखकर अभिनेत्री विद्या बालन भी आश्चर्य में हैं। खबर है कि फोटो में कुछ बदलाव करके ये हरकत की गई है। अब विद्या उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का मन बना रही हैं।

विद्या बालन अकेली ऐसी अभिनेत्री नहीं हैं जिनकी तस्वीर को मॉर्फ करके लगाया गया है। इसके पहले भी कई अभिनेत्रियां इस तरह की छेड़छाड़ से बदनाम हो चुकी हैं।

सन् 1997 में अभिनेत्री पूजा भट्ट की स्टार मैग्जीन ने ऐसी ही फेक (बनावटी) न्यूड तस्वीर प्रकाशित कर दी थी। इसी तरह हाल ही में सोनाक्षी सिन्हा की बिकनी में आई फोटो ने भी फिल्म इंडस्ट्री में तहलका मचा दिया था।

मल्लिका शेरावत और प्रीति जिंटा भी इस तरह के विवाद का सामना कर चुकी हैं। कुछ लोगों ने इनकी मॉर्फ क्लिप वेब पर प्रकाशित कर दी थी।

एक लोकप्रिय और गिज्मा गैजेट साइट ने अपने प्रोडक्ट को चर्चा में लाने के लिए सैलिना जेटली की भी तस्वीर से छेड़छाड़ कर उसे प्रकाशित कर दिया था।

इसी तरह दक्षिण भारत की चर्चित अभिनेत्री खुशबू की भी रेड बिकनी में प्रकाशित फोटो ने भी काफी सुर्खियां बटोरी थीं। इसके बाद खूशबू ने कानून का सहारा भी लिया था।

24 घंटे बाद भी राधिका के कातिल का कोई सुराग नहीं

नई दिल्ली। दिल्ली में छात्रा की हत्या हुए करीब 24 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन दिल्ली पुलिस के पास कातिल का कोई सुराग नहीं है। वैसे पुलिस का कहना है कि लड़की के मोबाइल डिटेल्स की पड़ताल की जा रही है और कई लोगों से पूछताछ जारी है।
दरअसल 8 मार्च यानि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सुबह के 10 बजे धौलाकुआं के पास फुटओवर ब्रिज पर राधिका तंवर नाम की लड़की की सरेआम गोली मार दी गई थी। गोली मारने के बाद बेखौफ अपराधी वहां से फरार हो गया। 22 वर्षीय राधिका दिल्ली युनिवर्सिटी के रामलाल आनंद कॉलेज में बीए सेकेंड ईयर की छात्रा थी। लड़की नारायणा गांव की रहने वाली थी। घरवालों को जैसे ही बेटी पर हुए हमले की खबर मिली वो घबराए अस्पताल पहुंचे। लेकिन तबतक देर हो चुकी थी।
राधिका हर रोज की तरह कॉलेज जा रही थी। चश्मदीदों के मुताबिक एक लड़का राधिका का पीछा कर रहा था और जैसे ही वो फुटओवर ब्रिज पर पहुंची उसे पीछे से गोली मारकर वो फरार हो गया। मौके पर मौजूद लोगों ने घायल राधिका को ऑटो में बिठाया और एम्स ट्रॉमा सेंटर ले गए। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है लेकिन हत्या की वजह अभी तक साफ नहीं हो पाई है। इस घटना से दिल्ली युनिवर्सिटी के साउथ कैंपस में खलबली मच गई है। जिस फुटओवर ब्रिज पर लड़की को गोली मारी गई है उसे साउथ कैंपस ब्रिज के नाम से जाना जाता है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के खिलाफ कानूनी कार्यवाही

ईटी नाउ : शेयर बाजार नियामक सेबी ने प्रमोटरों की हिस्सेदारी बढ़ाने संबंधी नियमों के उल्लंघन के
मामले में रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी है। यह मामला तकरीबन रिलायंस इंडस्ट्री के 11 साल पुराने पुराने सौदे से जुड़ा है। अगर हम इस मामले में सेबी के आरोपों की बात करें तो यह मामला तकनीकी जान पड़ता है। इस मामले का सारांश यह है कि आरआईएल के प्रमोटरों ने साल 2000 में सार्वजनिक जानकारी दिए बगैर कंपनी में अपनी हिस्सेदारी 5 फीसदी से ज्यादा बढ़ा ली। यह हिस्सेदारी नॉन-कनवर्टिबल डिबेंचरों (एनसीडी) से जुड़े वारंट कनवर्जन के जरिए बढ़ाई गई। ये एनसीडी और पुराने थे और इन्हें 1994 में जारी किया गया था।

मामले की जांच कर रहे सेबी अधिकारी पीयूष गुप्ता ने इस संबंध में 24 फरवरी को नोटिस जारी किया था। आरआईएल के पास इस केस में अपनी बात रखने का विकल्प है। साथ ही, कंपनी को कथित सहमति पत्र (कॉन्सेन्ट एप्लिकेशन) भी दायर करने का अधिकार दिया गया है। सहमति पत्र के जरिए अनियमितता के लिए दोषी पाई गई कंपनी अपराध स्वीकार या इनकार किए बगैर फीस देकर मामले को रफा-दफा कर सकती है। नोटिस में कहा गया है कि इस मामले में कानूनी कार्यवाही जारी रहेगी और सहमति कार्यवाही के खत्म या खारिज होने के बाद उचित आदेश जारी किए जाएंगे।

सेबी के अधिकारी द्वारा 24 फरवरी को जारी किए गए नोटिस में कहा गया है कि साल 2000 में आरआईएल ने अपने प्रमोटरों से जुड़ी 38 इकाइयों को 12 करोड़ शेयर जारी किए थे और यह अधिग्रहण से जुड़े दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। सेबी के मुताबिक, आरआईएल द्वारा 38 इकाइयों को व्यक्ति के रूप में शेयर जारी किए जाने के बाद 31 मार्च 2000 को कंपनी में प्रमोटरों की हिस्सेदारी बढ़कर 38.33 फीसदी हो गई, जो 31 मार्च 1999 को 22.17 फीसदी थी। सेबी के टेकओवर नियमों के मुताबिक, प्रमोटरों को कंपनी में अपनी होल्डिंग सालाना 5 फीसदी तक बढ़ाने की इजाजत दी गई थी।

चूंकि, आरआईएल के प्रमोटरों ने अपनी हिस्सेदारी एक साल के भीतर 5 फीसदी से ज्यादा बढ़ा ली, लिहाजा सेबी के नियम 11 (1) के तहत उनके लिए इस संबंध में सार्वजनिक जानकारी मुहैया कराना जरूरी था। हालांकि, ये शेयर प्रेफरेंशियल अलॉटमेंट के तहत जारी किए गए थे, जिसे टेकओवर नियमों से छूट मिली हुई है, लेकिन हिस्सेदारी खरीदने वाले को इस संबंध में रिपोर्ट फाइल करनी थी। लेकिन न तो आरआईएल प्रमोटरों और न ही संबधित इकाइयों ने इस बारे में रिपोर्ट दाखिल की और न ही टेकओवर नियमों के तहत छूट के लिए आवेदन दिया।

इस बारे में जब रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रवक्ता से बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया। अगर इस मामले में दोष सिद्ध हो जाता है तो आरआईएल के प्रमोटरों पर मौद्रिक जुर्माना लगाया जा सकता है। दरअसल, जनवरी 2000 में 75 रुपए के हिसाब से 38 इकाईयों को 12 करोड़ शेयर जारी किए गए थे। ये शेयर वारंट के जरिए नॉन-कनवर्टिबल डिबेंचर (एनसीडी

दुनिया की शीर्ष 100 प्रेरक महिलाओं में पांच भारतीय महिलाएं

लंदन। समाचार पत्र द गार्जियन ने दुनिया की शीर्ष 100 प्रेरक महिलाओं की सूची तैयार की है। द गार्जियन ने आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर यह सूची जारी की। इनमें भारतीय महिलाओं में मानवाधिकार कार्यकर्ता जयश्री सतपते, बुकर पुरस्कार विजेता अरूंधति रॉय, पर्यावरणविद् वंदना शिवा, महिला अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली अपराजिता गोगोई और सम्पत पाल देवी शामिल है।
सम्पत पाल देवी उत्तर भारत में गुलाबी गैंग का नेतृत्व करती है, जो घरेलू हिंसा का विरोध करता है। इस समूह की सभी महिलाएं गुलाबी साडी पहनती है और इसमें अभी 20,000 सदस्य है। एक दिन अपने राज्य उत्तर प्रदेश में उन्होंने एक व्यक्ति को पत्नी को पीटते देखा। उन्होंने उसे ऎसा न करने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं माना। अगले दिन वह कई महिलाओं को लेकर आई और उस व्यक्ति की उसी तरह पिटाई की, जैसे उसने अपनी पत्नी को पीटा था।

Monday, March 7, 2011

चाहिए ब़डी कामयाबी तो जोखिम उठाइए

नई दिल्ली। एक राजा था, उसे अपनी दौलत और ताकत पर बहुत घमंड था। वह हालांकि दानी, ईमानदार और योग्य प्रशासक था, लेकिन अपने अहंकार के कारण वह बदनाम हो गया था। एक दिन राजा सोचने लगा कि मैं अपनी प्रजा का पूरा ध्यान रखता हूं, फिर भी प्रजा मुझसे खुश नहीं है, ऎसा क्यों हो रहा है!
फिर उस राजा को जानने के लिए वह संत बाबा गरीबदास के पास पहुंचा और बोला, ""बाबा मैं इस देश का राजा हूं, मेरे पास बेइंतहा दौलत है। यदि आपको किसी चीज की जरूरत हो, तो तुरंत बताइए, मैं वो चीज पलक झपकते ही आपकी सेवा में पेश कर दूंगा।""
बाबा उसके अहंकार को भांप गए और बोले, ""तुम्हारे पास अपना है क्या, जो मुझे दोगे!""
बाबा की बात सुनकर राजा चौंक गया, फिर बोला, ""बाबा, ऎसी कौन-सी चीज है, जो मेरे पास नहीं हैक् मेरा महल कीमती चीजों से भरा प़डा है।""
बाबा गुस्से में बोले, ""राजन, यह तुम्हारा भ्रम है कि सारी दौलत तुम्हारी है। तुम्हारा कुछ भी नहीं है, क्योंकि तुम्हारा शरीर और सौंदर्य तुम्हारे माता-पिता का दिया हुआ है। वैभव धरती माता का दिया हुआ है। राजपाट भी तुम्हारा नहीं है, प्रजा ने तुम्हें राजा बनाया है। यदि तुम्हारा अपना कुछ है, तो वो है धर्म! इसलिए धर्म का पालन करो और प्रजा की सेवा करो, फिर तुम युगों-युगों तक अमर हो जाओगो।""
बाबा के मुंह से धर्म का रहस्य जानकर राजा का अहंकार चूर-चूर हो गया, फिर उसे अपनी परेशानी का कारण भी समझ में आ गया।
वह बाबा के चरणों में गिर प़डा और हाथ जो़डकर बोला, ""बाबा, मैं आपकी बात को ध्यान में रखते हुए अब अपने शासन में धर्म को ही प्रमुख स्थान दूंगा और कभी भी अहंकार नहीं करूंगा।""
इसलिए हमेशा प्रगति के बारे में सोचिए और इन गुरूमंत्रों को बार-बार दोहराइए :
* यह मत सोचिए कि देश की अर्थव्यवस्था कब समृद्ध होगी, बल्कि यह सोचिए कि आप की अपनी अर्थव्यवस्था कैसे समृद्ध होगी!
* सफलता हमेशा असफलताओं के बाद ही मिलती है, क्योंकि सफलता का रास्ता असफलताओं के बीच से ही होकर गुजरता है।
* यदि आपके पास एक पेन और एक सपना है, तब आप पूरी दुनिया को जीत सकते हैं, क्योंकि ब़डा आदमी बनने के लिए सिर्फ इन दो ही चीजों की जरूरत होती है-लक्ष्य और जुनून।
* जब आपका मन प्रसन्न होता है, तब आपके अंदर ऊर्जा का उत्पादन कई गुना बढ़ जाता है, जिसे आप सही दिशा में प्रयोग करके अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
* जिन्हें लगता है कि वह सफल हो सकते हैं और जो ये सोचते हैं कि वे सफल नहीं होंगे, वे दोनों ही सही हैं। क्योंकि मन में जो विचार ज्यादा प्रभावशाली होंगे, वही आपकी सोच को निर्धारित करेंगे।
* आपको सफलता नहीं मिलती, क्योंकि आप सफलता नहीं मांगते। आप मांगते हो, फिर भी नहीं मिलता, क्योंकि तुम श्रद्धा से नहीं मांगते। लेकिन यदि आपके भीतर राई के दाने के बराबर भी विश्वास है, तो आप किसी पर्वत से कहिए कि यहां से खिसक जाओ, तब वह अवश्य खिसक जाएगा।
* जीवन की तमाम विफलताएं आपको आपकी वास्तविक योग्यता और क्षमता का आभास कराती है और फिर वही विफलताएं आपको सफलता का रास्ता दिखाती हैं।
8.जोखिम उठाए बिना आप जीवन में कभी कोई ब़डी कामयाबी हासिल नहीं कर सकते, क्योंकि अंग्रेजी में एक कहावत है, नो रिस्क नो रिवार्ड।
* फूलों की महक सिर्फ उसी दिशा में फैलती है, जिधर हवा का रूख होता है, लेकिन व्यक्ति की उन्नति के चर्चे पूरे विश्व में फैलते हैं।
* जागने के बाद कचरा, कू़डा-करकट चित्त से गिरना शुरू हो जाता है। फिर चित्त निर्मल होता चला जाता है और जब चित्त निर्मल हो जाता है, तब चित्त दर्पण बन जाता है।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को लोकसभा में मुख्य सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति के लिए पूर्ण रूप से खुद को जिम्मेदार मानते हुए कहा कि पीजे थॉमस का इस पद के लिए चयन निर्णय की ब़डी चूक थी।
मगर प्रधानमंत्री की यह स्वीकारोक्ति वामदलों को संतुष्ट नहीं कर पाई और उन्होंने सदन का बहिष्कार कर दिया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभआ में इस संबंध में अपनी ओर से दिए वक्तव्य में कहा, इस मामले में शीर्ष अदालत ने जो निर्णय सुनाया है, हम उसको स्वीकार करते हैं और उसका सम्मान करते हैं। नए सीवीसी को नियुक्त करते संय सरकार अदालत के दिशा-निर्देशों का ध्यान रखेगी। सिंह ने कहा कि थॉमस की नियुक्ति के बाद सुप्रीम कोर्ट में दो जनहित याचिकाएं दायर की गई, जिसमें सीवीसी के रूप में थॉमस की नियुक्ति को चुनाती दी गई थी।
उन्होंने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने समिति की सिफारिशों को कानून-सम्मत नहीं पाया है और सीवीसी के रूप में थॉमस की नियुक्ति को रद्द कर दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा, मैंने जम्मू में जो कुछ कहा, उसे यहां दोहराने में मुझे कोई हिचक नहीं है।
उन्होंने कहा, साफ तौर पर निर्णय में चूक थी, इसके लिए मैं पूरी जिम्मेदारी स्वीकार करता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयुक्त का पद 8 दिसंबर, 2010 को प्रत्युष सिन्हा के कार्यकाल पूरा होने के बाद खाली होना था। सीवीसी कानून 2003 के तहत प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और विपक्ष की नेता की सदस्यता वाली समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति सीवीसी की नियुक्ति करती हैं। उन्होंने कहा कि 3 सितंबर, 2010 को समिति की बैठक हुई जिसमें विपक्ष की नेता ने असहमति का रूख व्यक्त किया। समिति की सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रपति ने पीजे थॉमस को सीवीसी के रूप में नियुक्त किया और उन्होंने 7 सितंबर, 2010 को शपथ ली।
प्रधानमंत्री ने हालांकि आज अपने मूल बयान में इस नियुक्ति की जिम्मेदारी स्वीकार नहीं की थी, जिस पर विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने क़डी आपत्ति जताते हुए कहा कि सिंह जब संसद के बाहर जम्मू-कश्मीर में इस बात की जिम्मेदारी ले चुके हैं, तो सदन में ऎसा करते हुए क्यों कतरा रहे हैं। इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें यह जिम्मेदारी स्वीकारने में कोई संकोच नहीं है।