Monday, March 7, 2011

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को लोकसभा में मुख्य सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति के लिए पूर्ण रूप से खुद को जिम्मेदार मानते हुए कहा कि पीजे थॉमस का इस पद के लिए चयन निर्णय की ब़डी चूक थी।
मगर प्रधानमंत्री की यह स्वीकारोक्ति वामदलों को संतुष्ट नहीं कर पाई और उन्होंने सदन का बहिष्कार कर दिया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभआ में इस संबंध में अपनी ओर से दिए वक्तव्य में कहा, इस मामले में शीर्ष अदालत ने जो निर्णय सुनाया है, हम उसको स्वीकार करते हैं और उसका सम्मान करते हैं। नए सीवीसी को नियुक्त करते संय सरकार अदालत के दिशा-निर्देशों का ध्यान रखेगी। सिंह ने कहा कि थॉमस की नियुक्ति के बाद सुप्रीम कोर्ट में दो जनहित याचिकाएं दायर की गई, जिसमें सीवीसी के रूप में थॉमस की नियुक्ति को चुनाती दी गई थी।
उन्होंने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने समिति की सिफारिशों को कानून-सम्मत नहीं पाया है और सीवीसी के रूप में थॉमस की नियुक्ति को रद्द कर दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा, मैंने जम्मू में जो कुछ कहा, उसे यहां दोहराने में मुझे कोई हिचक नहीं है।
उन्होंने कहा, साफ तौर पर निर्णय में चूक थी, इसके लिए मैं पूरी जिम्मेदारी स्वीकार करता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयुक्त का पद 8 दिसंबर, 2010 को प्रत्युष सिन्हा के कार्यकाल पूरा होने के बाद खाली होना था। सीवीसी कानून 2003 के तहत प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और विपक्ष की नेता की सदस्यता वाली समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति सीवीसी की नियुक्ति करती हैं। उन्होंने कहा कि 3 सितंबर, 2010 को समिति की बैठक हुई जिसमें विपक्ष की नेता ने असहमति का रूख व्यक्त किया। समिति की सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रपति ने पीजे थॉमस को सीवीसी के रूप में नियुक्त किया और उन्होंने 7 सितंबर, 2010 को शपथ ली।
प्रधानमंत्री ने हालांकि आज अपने मूल बयान में इस नियुक्ति की जिम्मेदारी स्वीकार नहीं की थी, जिस पर विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने क़डी आपत्ति जताते हुए कहा कि सिंह जब संसद के बाहर जम्मू-कश्मीर में इस बात की जिम्मेदारी ले चुके हैं, तो सदन में ऎसा करते हुए क्यों कतरा रहे हैं। इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें यह जिम्मेदारी स्वीकारने में कोई संकोच नहीं है।

No comments:

Post a Comment