Tuesday, March 8, 2011

कल्पनाशीलता, सफलता की पहली सीढ़ी

नई दिल्ली। एक बार गांव वालों ने अपने मुखिया से पूछा, ""इस बार ठंड कैसी प़डेगी। जरा बताओ, ताकि हम उस हिसाब से जलाने के लिए लकडियां इक्कठी कर सकें।"" लेकिन मुखिया नई पीढ़ी का था और कुछ दिनों पहले वह शहर से पढ़कर आया था। इसलिए उसे मौसम का अनुमान लगाने के पारम्परिक तरीके पता नहीं थे।
चूंकि वह मुखिया था, उसे अपना अज्ञान जाहिर करने में ब़डी शर्म आई। फिर उसने एक पल के लिए सोचा और कह दिया, ""इस बार ठंड प़डेगी।""
मुखिया की बात मानकर गांव वालों ने लक़डी जुटानी शुरू कर दी। उसने गोलमोल जवाब तो दे दिया था, पर वह अपने लोगों को सही जानाकरी भी देना चाहता था। इसलिए उसने पास के शहर में स्थित मौसम विभाग से संपर्क किया, फिर पूछा, ""इस बार ठंड के बारे में क्या अनुमान है!""
मौसम विभाग के क्लर्क ने कहा,""अच्छी ठंड पडने के संभावना है।"" मुखिया ने वही बात अपने गांव वालों को फिर बता दी। तब वे और तेजी से लकडियां इक्कठी करने लगे।
लेकिन कुछ दिनों बाद मुखिया ने मौसम के पूर्वानुमान की पुष्टि करनी चाही। उसने शहर जाकर मौसम विभाग से पूछा, ""इस बार सर्दी का मौसम कैसा रहेगा! ""
विभाग ने उत्तर दिया, ""इस बार ब़डी तेज सर्दी प़डने वाली है।"" मुखिया ने आसमान को निहारते हुए कहा, ""सर्दी का मौसम करीब है, लेकिन ठंड प़डने के आसार नही दिखाई प़ड रहे, फिर आप कैसे बोल रहे हैं कि भंयकर ठंड प़डेगी! ""
मौसम विभाग के क्लर्क ने कहा, ""यह मेरी कल्पना है, क्योंकि हम लगातार देख रहे हैं कि इस बार आपके गांव में रहने वाले लोग पागलों की तरह लकडियां इक्कठी कर रहे हैं।""
इसलिए गलत कल्पना मत कीजिए और नीचे लिखे गुरूमंत्रों पर ध्यान दीजिए :
* कल्पनाशीलता सफलता की पहली सीढ़ी है, क्योंकि जोखिम से पहले का गणित बताता है कि आप असफल होंगे, परंतु जोखिम के बाद का समय बताता है कि आप सफल होंगे।
* जब आप किसी चीज को पाने की कल्पना करते हैं, तब आपके अंदर उस चीज को पाने के विचार और भावनाएं उत्पन्न होने लगती हैं। फिर आकर्षण का नियम उस चीज को सच करके आपके पास भेज देता है।
* कल्पना आपको उस दुनिया में ले जाती है जो पहले थी ही नही। परन्तु साकार होते ही वह कल्पना एक नई दुनिया बन जाती है।
* कल्पना, इच्छाशक्ति, भावना, तर्क, अंतरात्मा, स्मरण शक्ति और अवचेतना हमेशा कुछ नया करने को उकसाते हैं, परंतु कुछ लोग उसपर ध्यान नहीं देते। लेकिन जो लोग उनके अनुसार चलते हैं वे सफल हो जाते हैं।
* कल्पना कीजिए कि आपको वैष्णों देवी की चढ़ाई करनी है। लेकिन आपको ऎसी राह नहीं दिख रही, जिसका अनुसरण करके आप पर्वत पर चढ़ते चले जाएं। ऎसी स्थिति में आप अपने सिर को चोटी की ओर उठाएं और तबतक चलते रहें, जबतक कि आप मंदिर के शिखर को न छू लें।
* जब आप अपनी अनुभूतिओं के अनुसार काम करते हैं, तब आपकी एक सीमा होती है। लेकिन जब आप अपनी कल्पना के अनुसार काम करते हैं तब आपकी सीमा अनंत होती है।
* आकर्षण का नियम उन शक्तिशाली तरंगों को ग्रहण करता है, जिसकी आप कल्पना करते हैं। फिर उस कल्पना को साकार करके आपके पास भेज देता है।
* आप कैसे सफलता पा सकते हैं, इसका ब्लूप्रिंट आपके मस्तिष्क की एक कोशिका में छिपा है। लेकिन उसको निकालने के लिए आपको कल्पना रूपी प्रिंटर का इस्तेमाल करना होगा।
* माया सभ्यता के कैलेंडर के हिसाब से जो लोग कल्पना कर रहे हैं कि 2012 में पूरी दुनिया खत्म हो जाएगी, उनको मैं यह बताना चाहता हूं कि दुनिया खत्म नहीं होगी, बल्कि दुनिया में अमीरों की संख्या दोगुनी हो जाएगी।

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